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'बकरियां दे दीं, वह भी बीमार!' मुआवजे को लेकर झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ित कर रहे शिकायत

झालावाड़ के पिपलोदी में हुए स्कूल हादसे को एक महीने से ज़्यादा हो गया है, लेकिन पीड़ित अभी भी उचित मुआवज़े और न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं. इसे लेकर जयपुर में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

'बकरियां दे दीं, वह भी बीमार!' मुआवजे को लेकर झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ित कर रहे शिकायत
Jhalawar school collapse

Jhalawar school building collapse: झालावाड़ के पिपलोदी में हुए स्कूल हादसे को लेकर चल रहे धरने अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं. नरेश मीणा जयपुर में शहीद स्मारक पर आमरण अनशन पर बैठे हैं, तो वहीं झालावाड़ के मिनी सचिवालय के सामने भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी है. अगर इन हादसों को लेकर मांगों की बात करें तो पीड़ितों को मुआवजा, सरकारी नौकरी और जमीन देने की बात सामने आई है. लेकिन इसके उलट जयपुर में पीड़ितों के लिए  धरनें शुरू हो गए हैं. जिससे बाद सवाल उठा कि क्या न्याय की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं? क्या वाकई परिवार इन  धरनों  से जुड़े हैं या नहीं? और क्या वो वाकई चाहते हैं कि ये धरनों  चलाए जाएं? इन सभी सवालों के जवाब के लिए पिपलोदी गांव के पीड़ित परिवारों ने इसकी सच्चाई बताई, जो चौंकाने वाली रही.

सरकार द्वारा दी जा रही मदद नाकाफी- पीड़ित परिवार

इस बातचीत में यह बात सामने आई कि हादसे से प्रभावित 5 से ज़्यादा परिवार इस समय जयपुर में नरेश मीणा के धरने में शामिल हैं. वहीं पिपलोदी गांव में मौजूद ज़्यादातर लोग सरकारी मदद को नाकाफी मानते हैं और जयपुर में नरेश मीणा के चल रहे  धरने और झालावाड़ के मिनी सचिवालय पर चल रहे  धरने को सही मानते हैं. प्रभावित परिवारों ने कहा कि उनके बच्चे चले गए, अगर बच्चे होते तो वो जिंदगी भर उनका साथ देते और कमाकर उनका पेट भरते. ऐसे में सरकार द्वारा दी जा रही मदद नाकाफी है.

धरने पर बैठे परिवारवाले

झालावाड़ में धरने पर बैठे परिवारवाले
Photo Credit: NDTV

बकरियों पर भी उठे सवाल

सरकार के जरिए मुआवजे के रूप में दी गई बकरियों को लेकर भी पीड़ित परिवारों में असंतोष है. हरीश की काकी पांची बाई और पायल की मां गुड्डी बाई ने बकरियों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए. गुड्डी बाई ने कहा, "हम बकरियों का क्या करेंगे? अपने घर-परिवार को संभालेंगे या बकरियां चराएंगे?" एक पीड़ित परिवार ने बताया कि दी गई बकरियां लगातार बीमार हो रही हैं, जिनका इलाज करवाना उनके लिए और भी मुश्किल हो रहा है. वही हादसे में जान गंवाने वाले कार्तिक के पिता हरकचंद लोधा और पायल की मां गुड्डी बाई ने भी सरकारी सहायता को नाकाफी बताया और आंदोलनों को सही ठहराया.

परिजनों ने आंदोलन को दिया समर्थन

हादसे में जान गंवाने वाले हरीश के दादा गंगाराम और मां ललिता बाई ने भी मुआवजे को अपर्याप्त बताया और आंदोलनों का समर्थन किया. इसी तरह, कान्हा और मीना के पिता छोटू लाल और मां बिन्ती बाई ने भी नरेश मीणा के आंदोलन को सही बताया, और कहा कि अगर वे बीमार न होते तो वे भी जयपुर जाकर धरने में शामिल होते.

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