
धरती पर भगवान का रूप कहे जाने वाले चिकित्सकों ने विज्ञान के इस दौर में नवीन चिकित्सा पद्धति का उपयोग कर 9 दिन के नवजात शिशु की जटिल हार्ट सर्जरी को सफल ऑपरेशन किया है. राज्य की गहलोत सरकार द्वारा चलाई जा रही चिरंजीवी योजना ने 9 दिन के नवजात शिशु को नया जीवनदान दिया है.
जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डिवीजन की नवस्थापित कैथ लैब में जटिल बीमारी TGA/Restrictive PFO/PDA/PAH का पैलिएटिव इंटरवेंशन विधि से बैलून Atrial Septostomy प्रोसीजर तकनीक से यह संभव हो पाया है.
इस बीमारी में जन्म के बाद बच्चों में नीले पड़ने की शिकायत होती है क्योंकि शरीर एवं फेफड़ों को खून ले जाने वाली नसें आपस में बदल जाती है ऐसे में अगर एट्रियल सेप्टल में छेद अगर छोटा हो तो बच्चे का ऑक्सीजन लेवल काफी कम होता है और बच्चा ऑक्सीजन की कमी से मल्टी ऑर्गन फैलियर में चला जाता है" -डॉ. विकास आर्य, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डिवीजन
चिकित्सों की टीम ने सफल की सर्जरी
एमएन मेडकिल कॉलेज के पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम से डॉ जेपी सोनी आचार्य, डॉ विकास आर्य सहायक आचार्य एवं सहआचार्य डॉक्टर संदीप चौधरी ने ऑपरेशन किया, जहां ऑपरेशन में डॉक्टर मानसी मदान, सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा, निश्चेतना विभाग के आचार्य डॉक्टर राकेश कर्णावत, सहायक आचार्य डॉ मोनिका, डॉक्टर लवी, डॉक्टर श्रव्या, सीनियर स्टाफ दिनेश गोस्वामी, आसिफ खान, कैथ लैब टेक्नीशियन धर्मेंद्र मरेठा, स्टाफ लीला, नीलम, जितेंद्र की संयुक्त टीम ने सर्जरी को सफल किया
पश्चिमी राजस्थान के सरकारी अस्पताल की अपनी तरह की पहली सर्जरी
इस तरह का इंटरवेंशन प्रोसीजर अब तक पश्चिमी सरकारी चिकित्सालय में अब तक कि संभवतः पहली सफल सर्जरी है सहायक आचार्य डॉ विकास आर्य ने बताया कि पिछले 6 महीने से नियमित रूप से मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के अंतर्गत बाल हृदय रोगों के ऑपरेशन निशुल्क हुए है जिसमे 10 PDA device closure ( 5महीने से 5 साल), 5 ASD device closure( 3 साल से 9 साल के बच्चे), 5 BPV ( 3 महीने से 13 साल) एवम 5 डायग्नोस्टिक कार्डियक कैथ लैब प्रोसीजर हुए है सभी बच्चे स्वस्थ है.