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This Article is From Oct 03, 2024

नवरात्रि में आकर्षण का केंद्र है कैलादेवी मंदिर, जानें राजपरिवार के कुलदेवी का 100 साल पुराना इतिहास 

महारानी गिर्राज कौर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वर्ष 1923 में की गई थी. महाराजा बृजेंद्र सिंह ने अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में 12 अप्रैल 1924 को मंदिर के सामने रवि कुंड का निर्माण करवाया था.

नवरात्रि में आकर्षण का केंद्र है कैलादेवी मंदिर, जानें राजपरिवार के कुलदेवी का 100 साल पुराना इतिहास 
कैलादेवी मंदिर

Rajasthan News: देशभर में आज से शारदीय नवरात्रों की धूम शुरू हो चुकी है. सभी देवी मंदिरों और देवालयों में आज भक्तों की भारी भीड़ नजर आई. घर-घर में कलश स्थापना की गई और लोगों ने नवरात्र के व्रत रखें. झील का बाड़ा स्थित कैलादेवी मंदिर में श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. यह कैलादेवी भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है. करौली के कैलादेवी मंदिर की तरह इसकी मान्यता है और यहां पर भी देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

मंदिर में श्रद्धालु अपने विवाह की जात लगाने और बच्चों के मुण्डन के लिए भी आते हैं. अलग-अलग जगहों से श्रद्धालु पदयात्रा और दण्डवत परिक्रमा करके भी पहुंचते हैं. झील का बाड़ा देवी का शारदीय नवरात्रा मेले का आयोजन 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक किया जा रहा है.

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भरतपुर रियासत के महाराजाओं की कुलदेवी

झील का बाड़ा स्थित कैलादेवी मंदिर भरतपुर-बयाना मुख्य मार्ग से लगभग 2 किमी अंदर स्थित हैं. मंदिर में मां कैलादेवी जी और महालक्ष्मी जी द्वापरयुग से ही विराजमान हैं. कहा जाता हैं कि कलासुर नाम के दानव का वध करने के लिए मां कैलादेवी जी मां महालक्ष्मी के साथ इस स्थान पर प्रकट हुई थी. कैलादेवी भरतपुर रियासत के महाराजाओं की कुलदेवी हैं.

महारानी गिर्राज कौर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वर्ष 1923 में की गई थी. इसी मंदिर में अष्ठमी का पूजा पाठ करने के लिए महाराजा बृजेंद्र सिंह जल्दी पहुंच कर प्रथम स्नान किया करते थे और पीताम्बरी पहन कर पूजा अर्चना करते थे.

मंदिर के सामने रवि कुंड का निर्माण

महाराजा बृजेंद्र सिंह शाम की आरती होने के बाद वापस भरतपुर महल में आ जाते थे. उसके बाद मंदिर में भोपाओं की ओर से नाच-गाना की प्रस्तुति दी जाती थी और राजपरिवार की तरफ से ईनाम दिया जाता था. महाराजा बृजेंद्र सिंह ने अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में 12 अप्रैल 1924 को मंदिर के सामने रवि कुंड का निर्माण करवाया था.

3 से 12 अक्टूबर तक मेले का आयोजन

यहां हर साल 2 बड़े मेले आयोजित होते है, चैत्र और शारदीय 15 दिवसीय नवरात्रा मेलों का आयोजन देवस्थान विभाग द्वारा किया जाता हैं. जिनमें राज्य और राज्य के बाहर से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में श्रद्धालु अपने विवाह की जात लगाने और बच्चों के मुण्डन कराने के लिए पहुंचते है.

मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना लेकर के आते है वह पूरी होती है. झील का बाड़ा देवी का शारदीय नवरात्रा मेले का आयोजन 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक किया जा रहा है.

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