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2012 में हुआ था करौली रोडवेज डिपो का उद्घाटन, 13 साल बाद भी नहीं मिला स्वतंत्र संचालन... यात्री हो रहे परेशान

राजस्थान के करौली में डेढ़ दशक पहले रोडवेज डिपो की घोषणा हुई थी, लेकिन 2012 के उद्घाटन के बाद भी यह स्वतंत्र रूप से शुरू नहीं हुआ. यह डिपो अब भी हिण्डौन डिपो के अधीन काम कर रहा है.

2012 में हुआ था करौली रोडवेज डिपो का उद्घाटन, 13 साल बाद भी नहीं मिला स्वतंत्र संचालन... यात्री हो रहे परेशान
करौली बस डिपो.

Rajasthan News: राजस्थान के करौली जिला मुख्यालय पर लोगों को बेहतर बस सेवाएं देने के लिए डेढ़ दशक पहले रोडवेज डिपो की घोषणा हुई थी. मगर आज तक यह डिपो स्वतंत्र रूप से शुरू नहीं हो सका. 2012 में उद्घाटन के बावजूद करौली डिपो हिण्डौन डिपो के अधीन चल रहा है. इससे जिले के लोगों को दूर-दराज के शहरों के लिए बसें नहीं मिल पा रही हैं. स्थानीय लोग और यात्री इस स्थिति से परेशान हैं.

जनता से किए वादे नहीं हुए पूरे

स्थानीय निवासियों का कहना है कि डिपो की घोषणा को कई साल बीत गए, लेकिन स्वतंत्र संचालन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा. विधायकों और सांसदों ने कई बार वादे किए कि करौली डिपो को हिण्डौन से अलग किया जाएगा, लेकिन ये वादे हवा-हवाई साबित हुए. लोग चाहते हैं कि सरकार जल्द इस दिशा में फैसला ले.

कैलामाता मंदिर के लिए बढ़ता यात्री भार

करौली में प्रसिद्ध कैलामाता मंदिर के कारण रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं, खासकर उत्तर प्रदेश के आगरा से. चैत्र और शारदीय नवरात्रों में यात्रियों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. इसके बावजूद पर्याप्त बसें नहीं होने से लोगों को परेशानी होती है. डिपो ने पहले भरतपुर जोन में सबसे ज्यादा कमाई कर ‘जोनल डिपो ऑफ द मंथ' का खिताब भी जीता था, फिर भी इसे स्वतंत्र दर्जा नहीं मिला.

2012 में हुआ था उद्घाटन

2010-11 के बजट में करौली को रोडवेज डिपो मिला. बस स्टैंड पर कार्यालय और वर्कशॉप बने. दिसंबर 2012 में परिवहन मंत्री ने उद्घाटन किया. स्टाफ और बसें भी दी गईं, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से स्वतंत्र संचालन शुरू नहीं हुआ.

हिण्डौन के भरोसे करौली डिपो

फिलहाल करौली डिपो की सारी व्यवस्थाएं हिण्डौन से चल रही हैं. बसों का संचालन और कर्मचारियों की ड्यूटी हिण्डौन डिपो तय करता है. हिण्डौन डिपो के मुख्य प्रबंधक संदीप सांखला ने बताया कि स्वतंत्र संचालन का फैसला मुख्यालय स्तर पर होगा.

लोगों की मांग जल्द हो फैसला

करौली के लोग चाहते हैं कि सरकार डिपो को स्वतंत्र करे ताकि बेहतर बस सेवाएं मिल सकें. यात्रियों का कहना है कि स्वतंत्र डिपो से जिले में परिवहन सुविधाएं बढ़ेंगी. अब सबकी नजर सरकार के अगले कदम पर है.

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