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राजस्थान में दुधारु गायों पर कहर बरपा रहा है 'कर्रा रोग', इलाज के आभाव में सैकड़ों गायों की मौत

कर्रा रोग (Karra disease) जो सबसे अधिक दुधारु गायों पर कहर बरपा रहा है. इससे अब तक 1200 गायों की मौत हो चुकी है.

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राजस्थान में दुधारु गायों पर कहर बरपा रहा है 'कर्रा रोग', इलाज के आभाव में सैकड़ों गायों की मौत

Karra Disease in Rajasthan: भारत-पाक अंतरराष्ट्रीयय सीमा से सेट सरहद जिले जैसलमेर में इन दिनों दुधारु गायों में एक रोग के कहर के चलते सैकड़ों गायों की जान चली गई है. इस रोग का नाम है कर्रा रोग (Karra disease) जो सबसे अधिक दुधारु गायों पर कहर बरपा रहा है. सूत्रों की माने तो पिछले एक माह में करीब 1000 - 1200 के करीब दुधारु गायों ने इस बीमारी के चलते दम तोड़ दिया है.

कर्रा रोग के लक्षण

बताया जाता है कि कर्रा रोग होते ही गाय के आगे के पैर जकड़ जाते हैं और गाय चलना बंद कर देती है. मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद हो जाता है. कर्रा रोग लगने के 4 से 5 दिन में गाय की मौत हो जाती है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. जिले के सांवता, भैंसड़ा, बैतीणा, लाला, कराड़ा, नया कराड़ा, भोपा, भीखसर, रासला, मुलाना, चांधन, लाठी, मेहराजोत क्षेत्र में कर्रा रोग का प्रकोप ज्यादा है. हालांकि प्रत्येक गांव में गायों में यह रोग फैल चुका है.

पशु पाल्क सुमेर सिंह बताते है किअब कर्रा रोग ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है.गौ पालक कर्रा रोग को लेकर चिंतित है.आंखों से सामने गायें दम तोड़ रही है लेकिन पंचायत और पशुपालन विभाग भी ठोस इंतजाम नहीं कर रहे है.

पशुपालन विभाग की लापरवाही

कर्रा रोग तेजी से फैल रहा है. इसमें पशुपालन विभाग और पशुपालकों की लापरवाही भी सामने आई है. कर्रा रोग से ग्रसित होकर गाये दम तोड़ रही है.लेकिन मृत गायों के शवों का निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है. लोग गायों के शवों को गांव के पास ही खुले में छोड़ रहे है. इससे दूसरी गाये शवों के अवशेष व हड्डियों को चाटती है. गायों के शवों को गड्ढा खोद कर दफना देना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।इसको लेकर ग्राम पंचायतें ठोस कार्यवाही नही कर रही है.वही पशुपालन विभाग भी इन मृत गायों के लिए कोई बीमा इत्यादि नहीं कर रहा.

क्या है कर्रा रोग का इलाज

गायों में फैल रही इस बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग के जॉइंट डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि इस बीमारी का उपचार जागरुकता और गायों के बचाव से हो सकता है. यानी  बचाव ही उपचार है. गर्मियों के मौसम की शुरुआत के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में गायों के मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां आदि खाने से पशुओं में कर्रा रोग हो जाता है. दुधारु गायों के शरीर में फासफोरस एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण ये पशु मृत पशुओं की हड्डियां खाना शुरु कर देते है. जिससे यह रोग उनमें फैलता है. ऐसे में गायों की देखभाल और उन्हें पूर्ण पोषण देना जरूरी है. इसके लिए पशुपालकों को जागरुक होना भी जरूरी है.

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