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3 दिन बाद भी बोरवेल से नहीं निकाली जा सकी चेतना, मां की हालत बिगड़ी; देसी जुगाड़, प्लान A-B सब फेल, अब आए रैट माइनर्स

Kotputli Borewell Incident: राजस्थान के कोटपूतली जिले के सरुंड थानाक्षेत्र में सोमवार को बोरवेल में तीन साल बच्ची चेतना खेलने समय बोरवेल में गिर गई थी.

3 दिन बाद भी बोरवेल से नहीं निकाली जा सकी चेतना.

Kotputli Borewell Incident Chetna: राजस्थान के कोटपूतली जिले में बोरवेल में गिरी 3 साल की बच्ची चेतना तीन दिन बाद भी नहीं निकाली जा सकी है. बच्ची को निकालने के लिए NDRF, SDRF, स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोग भी लगे हैं. लेकिन अभी तक उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी है. चेतना सोमवार को दोपहर में करीब 1.30 बजे खेलते समय 700 फूट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. बच्ची के 150 फीट की गहराई में फंस गई थी. अभी तक उसे निकालने की हर कोशिश नाकाम साबित हुई है. देसी जुगाड़ से हुक लगाकर उसे 20 फीट ऊपर खींचा गया था. लेकिन उसके बाद चेतना को ऊपर नहीं लाया जा सका है. 

कोटपूतली में बोरवेल में गिरी बच्ची को 65 घंटे बीतने के बाद भी नहीं निकाला जा सका है. चेतना को बोरवेल से निकालने का देसी जुगाड़, प्लान ए-बी फेल चुका है. अब रैट माइनर्स की टीम दिल्ली से पहुंची है.

दिल्ली से आई रैट माइनर्स की टीम

चेतना को निकालने के लिए हरियाणा से बड़ी पायलिंग मशीन भी मंगवाई गई थी. पायलिंग मशीन से खुदाई भी हुई. लेकिन बच्ची को नहीं निकाला जा सका. अब बच्ची को बोरवेल से बाहर निकालने के लिए दिल्ली से रैट माइनर्स की टीम आई है. उत्तराखंड टनल हादसे में काम करने वाले इन रैट माइनर्स से लोगों की उम्मीद बंधी है.

बच्ची के वियोग में मां की तबीयत बिगड़ी

रैट माइनर्स की टीम गड्ढे से बोरवेल तक हॉरिजॉन्टल खुदाई कर सुरंग बनाएगी, जिसके बाद बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी. इधर बच्ची के वियोग में उसकी मां की तबीयत बुरी तरह से बिगड़ गई है. सोमवार से चेतना की मां ने कुछ नहीं खाया-पीया है. रोते-रोते उनकी हालत खराब हो गई है. बुधवार को पहुंचे डॉक्टरों ने चेतना की मां को ओआरएस का घोल पिलाया और जरूरी दवाईयां लिखी. 

तीन दिन से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

मालूम हो कि राजस्थान के कोटपूतली जिले के सरुंड थानाक्षेत्र में सोमवार को बोरवेल में तीन साल बच्ची चेतना खेलने समय बोरवेल में गिर गई थी. थानाधिकारी मोहम्मद इमरान ने बताया कि राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें तीन दिन से अधिक समय से बच्ची को सुरक्षित निकालने का प्रयास में जुटी हैं.

पाइलिंग मशीन से भी की गई थी खुदाई

उन्होंने बताया कि बुधवार को पाइलिंग मशीन के जरिये बोरवेल के समानांतर सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही एल बैंड (देसी जुगाड़) से भी बच्ची को बोरवेल से बाहर खींचने की कोशिश की जा रही है. बच्ची की हरकतों को कैमरे में कैद किया गया और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बोरवेल में ऑक्सीजन पाइप उतारी गई.

दौसा में बोरवेल हादसे में बच्चे की हुई थी मौत

इससे दो सप्ताह पहले दौसा जिले में पांच साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था. बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिये राहत और बचाव अभियान तीन दिन से ज्यादा समय हो चला था. हालांकि, जब तक उसे बाहर निकाला गया तब तक उसकी मौत हो गई थी. 

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