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Analysis: बाड़मेर में किसकी जीत? रविंद्र भाटी समर्थक जोश में, भाजपा-कांग्रेस के अलग-अलग दावें, रिजल्ट से पहले समझिए नतीजे की आहट

Barmer Lok Sabha Seat: इस बार के लोकसभा चुनाव में राजस्थान से बाड़मेर सबसे हॉट सीट बनकर उभरा है. वजह है- रविंद्र भाटी. भाजपा-कांग्रेस की टक्कर वाली इस सीट पर रविंद्र भाटी के निर्दलीय ताल ठोंकने से सारा समीकरण बिगड़ गया है. अब जबकि राजस्थान में लोकसभा चुनाव का मतदान समाप्त हो गया है तो आइए समझते मतदान के बाद रिजल्ट से पहले समझिए बाड़मेर के नतीजे की आहट.

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Analysis: बाड़मेर में किसकी जीत? रविंद्र भाटी समर्थक जोश में, भाजपा-कांग्रेस के अलग-अलग दावें, रिजल्ट से पहले समझिए नतीजे की आहट
रविंद्र भाटी, कैलाश चौधरी,

Who win in Barmer: राजस्थान में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) का मतदान समाप्त हो गया है. अब जीत-हार की कयासबाजी का दौर चल रहा है. प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 12 जबकि दूसरे चरण में शेष 13 सीटों पर मतदान हुआ है. पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में वोटिंग की रफ्तार बढ़ी है. लेकिन 2019 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत कम ही रहा है. मतदान प्रतिशत बढ़ने को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने फायदे की बात कर रही हैं. प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्यादा चर्चा बाड़मेर लोकसभा सीट (Barmer Lok Sabha Seat) की है.

रविंद्र भाटी (Ravindra singh Bhati) के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण यहां त्रिकोणीय संघर्ष हैं. शुक्रवार को बाड़मेर में सबसे अधिक वोटिंग के साथ-साथ सबसे ज्यादा झड़प भी यहीं हुआ है. बाड़मेर में भाजपा से मौजूदा सांसद और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Chaudhary) तो कांग्रेस से उम्मेदाराम मेघवाल (Ummeda Ram Meghwal) चुनावी मैदान में है. जबकि शिव विधायक निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं. 

मतदान के अगले दिन एसपी ऑफिस के बाहर धरने पर भाटी

मतदान में हुई गड़बड़ियों को लेकर रविंद्र भाटी आज बालोतरा में समर्थकों के साथ एसपी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठे हैं. दूसरी ओर सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाड़मेर में जीत किसकी होगी. बाड़मेर के रण का फाइनल रिजल्ट तो 4 जून को आएगा. लेकिन अभी मतदान प्रतिशत बढ़ने और वोटिंग के दौरान सामने आए रुझानों को लेकर तीनों प्रत्याशियों द्वारा अलग-अलग दावें किए जा रहे हैं. आइए बाड़मेर से आई इस रिपोर्ट के जरिए समझते हैं राजस्थान की सबसे हॉट सीट बाड़मेर का सियासी समीकरण. 
 

बाड़मेर लोकसभा सीट पर इस बार रिकॉर्ड तोड़ 74.25 फीसदी मतदान हुआ है. 73.68 फीसदी मतदान केंद्रों और बाकी होम वोटिंग पोस्टल बैलेट को मिलाकर 74.25 फीसदी मतदान हुआ है. मतदान में इजाफे को लेकर राजनीतिक जानकार अलग-अलग मायने निकल रहे हैं.

रविंद्र सिंह भाटी के समर्थक सबसे ज्यादा उत्साहित 

बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट से भाजपा, कांग्रेस के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र भाटी भी मैदान में हैं. मतदान के दिन कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल और रविंद्र सिंह भाटी सक्रिय नजर आए और कई मतदान केंद्रों पर रविंद्र सिंह भाटी और कांग्रेस सक्रिय नजर आए और इसी के चलते कई जगह दोनों के समर्थकों के बीच भिड़ंत की खबरें भी सामने आई. लेकिन इस दौरान सबसे बड़ी चर्चा का विषय भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, नेता जनप्रतिनिधि प्रत्याशी रहे, जो किसी भी मतदान  बूथों पर सक्रिय नजर नहीं आए. 

भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी अपने मतदान के अलावा क्षेत्र में कहीं नहीं दिखे. ऐसे में माना जा रहा है कि बाड़मेर में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और निर्दलीय के बीच हो गया है. मतदान को लेकर दोनों ही प्रत्याशियों के समर्थकों ने भरपूर कोशिश की और रविंद्र सिंह भाटी प्रवासियों से मतदान की अपील को लेकर गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक हैदराबाद दिल्ली सहित कई प्रदेशों के प्रवास पर भी गए थे. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की मन तो मतदान में इजाफा इस बार बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से बदलाव के संकेत दे रहा है.

भाटी ने भांपा एंटी इनकंबेंसी, अल्पसंख्यक, और OBC में भी की सेंधमारी


विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के विरुद्ध जाट समाज और मूल ओबीसी में नाराजगी देखने को मिली थी इसी को लेकर लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले कैलाश चौधरी ने अपने भाषण में कहा था कि उनकी गलतियों की सजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मत देना उनके इस बयान के बाद उनके खिलाफ जनता उनके खिलाफ माहौल बनता गया कैलाश चौधरी के विरुद्ध माहौल को रविंद्र भाटी ने भांप लिया.

मूल ओबीसी में रविंद्र सिंह भाटी को लेकर जबर्दस्त क्रेज है और कल मतदान के दौरान भारी मात्रा में राजपूत समाज ने एकतरफा भाटी के पक्ष में मतदान किया है रविंद्र सिंह भाटी ने भारतीय जनता पार्टी के मूल वोट बैंक माने जाने वाले मूल ओबीसी समाज में भी जबरदस्त तरीके से सेंधमारी की है. जिसके चलते ही भाजपा मुकाबले से बाहर हो गई और मुकाबला कांग्रेस और रविंद्र भाटी के बीच  हुआ. 

पूर्व विधायक की बगावत से कांग्रेस चिंतित

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से सबसे बड़ा वोट बैंक जाट समाज का है. दूसरा अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय का है. रविंद्र सिंह भाटी की बगावत से पहले यह तीनों समाज कांग्रेस के पक्ष में एक तरफ जाता हुआ नजर आ रहा था. लेकिन रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते अल्पसंख्यक वोट भी रविंद्र की तरफ शिफ्ट हुए हैं.

कांग्रेस के पूर्व विधायक, मंत्री और अल्पसंख्यक समुदाय के दिग्गज नेता अमीन खान की बगावत से पार्टी को भारी नुकसान की आशंका थी. अमीन खान को मनाने की काफी कोशिश भी हुई. लेकिन वह नहीं माने और पार्टी में रहकर रविंद्र भाटी की मदद की. इसी का नतीजा है कि चुनाव खत्म होते ही कांग्रेस ने अमीन खान को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया.

बाड़मेर में ज्यादा वोटिंग को लेकर सबके अपने-अपने दावें 

भाजपा: मोदी मैजिक के चलते हुआ भारी मतदान

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट हुए भारी मतदान को तीनों ही प्रत्याशियों के अपने-अपने दावे हैं. भाजपा समर्थकों के अनुसार लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर जबरदस्त उत्साह है. उन्होंने पहले चरण में कम मतदान के बाद लोगों से ज्यादा मतदान की अपील की थी. ऐसे में लोगों ने बढ़ चढ़कर मतदान में भाग लिया. 

कांग्रेसः ज्यादा मतदान बदलाव के संकेत 

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है बाड़मेर बायतु और गुड़ामालानी जाट बाहुल्य इलाक़े है. सबसे ज्यादा वोटिंग इन्हीं विधानसभा क्षेत्र में हुई है. यह कांग्रेस प्रत्याशी के लिए अच्छी बात है. लोग भारतीय जनता पार्टी से ऊब चुके हैं ऐसे में मतदाताओं ने बदलाव का मन बनाया है जिसकी चलते वोटिंग में बढ़ोतरी हुई है.

निर्दलीयः जनता ने चुनाव लड़ाया, मतदान तो होना ही था

बाड़मेर जैसलमेर की जनता कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से नाराज हैं. क्योंकि इन दोनों पार्टियों के जिन नेताओं को यहां से चुनाव लड़ाया वे जीतकर वापस नहीं आए. इस इलाके में पानी जैसी मूलभूत सुविधा की कमी से लोगों के हाल बेहाल है. आज तक किसी ने भी लोगों की पुकार नहीं सुनी.

ऐसे में बाड़मेर जैसलमेर की जनता ने इस बार राजनीतिक पार्टियों को नहीं यहां के बेटे को चुनाव जीताने का मन बना लिया है. इसी को लेकर यहां की जनता ने अपने बेटे को चुनाव लड़ाया था. ऐसे में चुनाव लड़ने वाले कभी पीछे नहीं रहते यही कारण है कि यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है और परिणाम के दिन चौंकाने वाले नतीजा सामने आएंगे. 

यह भी पढ़ें - Explainer: राजस्थान की बाड़मेर लोकसभा सीट पर 'जातिवाद' में बदला 'वर्चस्व की लड़ाई' का संघर्ष!

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