Demand For Bhil Pradesh: राजस्थान में अलग राज्य 'भील प्रदेश' की मांग पर सियासत फिर गरमा गई है. बांसवाड़ा-डूंगरपुर से बीएपी सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) ने इस मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा की मांग की है. उन्होंने नियम 377 के अधीन सूचना देते हुए शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा की मांग की. पिछले ही हफ्ते उनकी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मुलाकात की तस्वीर सामने आई थी. बीएपी (BAP) सांसद ने कई मुद्दों पर चर्चा के दौरान अमित शाह के सामने भी भील प्रदेश की मांग रखी थी. साथ ही कहा कि 5वीं और 6वीं अनुसूची के प्रावधानों को धरातल पर लागू करने और आदिवासी से जुड़े मुद्दों के बारे में बात की.
रोत बोले- आदिवासियों की विशिष्ट पहचान खत्म हुई है
राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पत्र साझा करते हुए बताया कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के भील समुदाय की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है. आजादी के बाद समान संस्कृति-पहचान वाले क्षेत्र को विभिन्न राज्यों में विभाजित कर दिया गया, जिससे यहां के आदिवासियों की विशिष्ट पहचान खत्म हुई है.
9 करोड़ से ज्यादा लोगों को भील प्रदेश में शामिल करने की मांग
उन्होंने इस पत्र में भीलप्रदेश के लिए मांग के समर्थन में उन जिलों की लिस्ट भी शेयर की. इसमें राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, जालोर, बाड़मेर, पाली, राजसमंद, चित्तोड़गढ़ कोटा और बांरा के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के भी कई जिले शामिल हैं. रोत के मुताबिक, इन राज्यों में आदिवासियों सहित अन्य समुदाय की कुल जनसंख्या 9 करोड़ 84 लाख 76 हजार 238 है. साल 1913 में गोविन्द गुरू के नेतृत्व में मानगढ़ पर लाखों भील एकत्र हुए थे. अंग्रेजों-रजवाड़ों द्वारा गोलियां चलाने से 1500 से अधिक आदिवासी मारे गए थे. भीलप्रदेश के लिए विभिन्न जन-आन्दोलनों, सामाजिक-राजनैतिक संगठनों और व्यक्तियों द्वारा हमेशा मांग उठाई है. क्षेत्र के अन्य समुदाय द्वारा भी पूर्ण समर्थन दिया है, ऐसे में भील प्रदेश निर्माण हेतु सदन में चर्चा की अति आवश्यकता है.
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