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This Article is From Oct 19, 2023

लाइलाज बीमारी से परेशान बेटी ने की खुदकुशी, मां-बाप ने आंखें दान कर पेश की बड़ी मिसाल

माउंट आबू के रहने वाली वैष्णवी को लाइलाज बीमारी थी. जिसकी वजह से उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दी थी. हमेशा कहती थी 'मैं कभी ठीक नहीं हो पाउंगी'. बुधवार को उसने आत्म हत्या कर ली.

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लाइलाज बीमारी से परेशान बेटी ने की खुदकुशी, मां-बाप ने आंखें दान कर पेश की बड़ी मिसाल
डॉक्टर्स को नेत्रदान करते परिजन
SIROHI:

गुरुवार को माऊंट आबू में दुःख और ख़ुशी का मिलाजुला नज़ारा देखने को मिला. दुःख था माता-पिता को अपनी बेटी को खो देने का और ख़ुशी थी उसकी आंखों से अब कोई और दुनिया देख पायेगा. दरअसल कुछ दिन पहले माउंट आबू के रहने वाले राजेंद्र वाजपेई और संध्या वाजपेई की 22 साल की बेटी वैष्णवी वाजपेई ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी. वैष्णवी एक लाइलाज बीमारी से जूझ रहीं थीं. जिससे परेशान हो कर उसने अपना जीवन ही ख़त्म कर लिया. शहर के लायंस क्लब ने माता-पिता को अपनी बेटी के नेत्रदान करने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उन्होंने नेत्रदान करने का फैसला लिया ताकि किसी की अंधेरी जिंदगी में उजियारा हो सके.

नेत्रदान के लिए लायंस क्लब ने किया प्रेरित

लायंस क्लब की प्रेरणा से नेत्रदान करने का फैसला लेने बाद आबूरोड़ की ग्लोबल नेत्र संस्थान इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल की टीम के नेत्र विभाग की डॉक्टर सीमा लाड़,  सिस्टर आई.ओ.टी बासंती शियाल, ओटी टेक्नीशियन धनन्जय गभने की टीम ने नेत्रदान को अपने संरक्षण में लिया. नेत्र विभाग की डॉक्टर सीमा लाड़ ने बताया कि हमारी टीम ने नेत्रदान को अपने संरक्षण में लिया है हम आबूरोड लेकर जा रहे हैं इसके बाद हम आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान जयपुर में इसे भेजेंगे.

 

वैष्णवी की आंखों को डॉक्टरों को हैंडओवर करते पिता.

वैष्णवी की आंखों को डॉक्टरों को हैंडओवर करते पिता.

स्कूल की टॉपर थीं वैष्णवी

वैष्णवी के पिता डॉ राजेंद्र बाजपेई ने बताया कि उनकी बेटी ने सोफिया स्कूल से 2018 में 93 प्रतिशत और 12वीं क्लास में 91 प्रतिशत अंक लाकर टॉप किया था.

वो दिल्ली से इंजीनियर कर रही थी. इस साल उसका तीसरा साल था. इंजीनियरिंग के दूसरे साल में उसे पेट के कुछ बीमारी हो गई थी, जिससे खाना पचता नहीं था, उसने हमें कहा कि फाइनल ईयर का एग्जाम नहीं दे पाएगी.उसके बाद वह घर आ गई थी..

' मैं कभी ठीक नहीं हो पाउंगी '

लगभग 15 दिन पहले ही आबूरोड से बीएससी का फॉर्म भरा था, वो हमेशा कहती थी मैं ठीक नहीं हो पाऊंगी. हम हमेशा उसे यही कहते थे की फिक्र मत करो सब कुछ ठीक होगा. आज अचानक क्या हुआ यह अभी हमारे समझ से परे है. लायंस क्लब की टीम ने हमें नेत्रदान की प्रेरणा दी.

वैष्णवी के पिता राजेंद्र कहते हैं, नेत्रदान ही मानव की सच्ची सेवा है. हमारी बेटी दूसरों की आंखों की रोशनी बनेगी. यह हमारे लिए बड़ी बात हैं.

घर में फांसी लगा कर दे दी जान 

डॉ राजेंद्र बाजपेई पुत्र गंगाचरण ने माउंट आबू पुलिस को बताया कि, हम मांच गांव में 20 से 22 सालों से किराए के मकान में रह रहे हैं . आज मैं और मेरी पत्नी किसी काम से बाहर गए हुए थे. मेरी बेटी घर पर अकेली थी.जब हम घर आए तब हमने देखा कि हमारी बेटी घर के अंदर ऑफिस में चुन्नी से फांसी के फंदे पर लटकी हुई है.

समझ नहीं आया कि अचानक क्या हुआ. सूचना मिलने पर आस-पड़ोस के लोग भी मौके पर आए हमने फांसी के फंदे से नीचे उतरा और सरकारी अस्पताल लेकर गए तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी हमने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिस पर सब इंस्पेक्टर सुनीता एवं पुलिस की टीम मौके पर पहुंची व पुलिस में मृग दर्ज कर आगे की जांच शुरू की है.

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