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Rajasthan: 'मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण धार्मिक नहीं सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिला', आरक्षण समीक्षा पर बोले मुस्लिम नेता

उन्होंने कहा, हम बंगाल हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी मंगवा रहे हैं. उसके बाद विधिक राय ली जाएगी और यदि सरकार चाहे तो अपनी रिपोर्ट में पूर्व की कमेटियों की ओर से जो रिपोर्ट सौंप गई है. उसकी भी स्टडी कर ले. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के समय हमें आरक्षण का लाभ मिला.

Rajasthan: 'मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण धार्मिक नहीं सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिला', आरक्षण समीक्षा पर बोले मुस्लिम नेता
ऑल इंडिया गद्दी समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अज़ीज़ आज़ाद और राज्य वक्फ बोर्ड चेयरमैन खानू खान बुधवाली

Muslim Reservation Debate: मुस्लिम आरक्षण को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस जारी है. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा नेताओं के बयान अब राजस्थान में हकीकत बनते हुए नजर आ रहे हैं. पिछले दिनों मंत्री अविनाश गहलोत ने इसके इशारे भी दिए.  जिससे यह चर्चाएं होनी लगीं कि,  भजनलाल सरकार ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण की समीक्षा कराने जा रही है. प्रदेश में चुनावी आचार संहिता हटने के बाद एक हाई पावर कमेटी मुस्लिम जातियों के ओबीसी कोटे का रिव्यू करगी.

'भाजपा केवल हिंदू-मुस्लिम करके देश को बांटना चाहती है'

सरकार के इस ऐलान के बाद प्रदेश में मुस्लिम नेताओं के बयान भी सामने आने लगे हैं. कांग्रेस नेता और राज्य वक्फ बोर्ड चेयरमैन खानू खान बुधवाली ने कहा, इन 14 जातियां को धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया. बल्कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया है. भाजपा केवल हिंदू-मुस्लिम करके देश को बांटना चाहती है और अब आरक्षण की आग लगाकर लड़वाना चाहती है. प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियों का आरक्षण विधि के अनुसार ही दिया गया है. 

'सरकार ने छेड़ा तो अदालत जायेंगे'

ऑल इंडिया गद्दी समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अज़ीज़ आज़ाद ने कहा कि, गद्दी जाति सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि 14 राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग आता है. इसके अलावा हम केंद्र की OBC सूची में भी आते हैं. गद्दी मुस्लिम जाति को आरक्षण धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक- सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया है. वो कहते हैं, अगर सरकार ने इसे छेड़ने की कोशिश कि तो हम अदालत में इस मामले लड़ेंगे.

'सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिया गया था आरक्षण' 

कायमखानी महासभा संयोजक कर्नल शौकत खान ने कहा कि बंगाल में किस आधार पर मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया गया था. जिसको हाई कोर्ट ने खत्म कर दिया है उसकी जानकारी हमें नहीं है. वहां आरक्षण का आधार क्या था, लेकिन प्रदेश में कायमखानी सहित 13 अन्य जातियों को जो आरक्षण दिया गया था वह सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिया गया था पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया था. जिसको लेकर ओबीसी आयोग ने सर्वे कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी और वर्ष 2000 में यह आरक्षण दिया गया.

'अटल बिहारी वाजपई की सरकार में मिला आरक्षण'

उन्होंने कहा, हम बंगाल हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी मंगवा रहे हैं. उसके बाद विधिक राय ली जाएगी और यदि सरकार चाहे तो अपनी रिपोर्ट में पूर्व की कमेटियों की ओर से जो रिपोर्ट सौंप गई है. उसकी भी स्टडी कर ले. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के समय हमें आरक्षण का लाभ मिला. साल 2017 में वसुंधरा राजे सरकार के समय भी हमने मांग की थी कि हमें केंद्र में भी ओबीसी में शामिल किया जाए जिसकी पैरवी तत्कालीन भाजपा नेताओं ने भी की थी.

इन मुस्लिम जातियों पर आ सकता है आरक्षण का संकट

कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार भी अब ओबीसी में शामिल 14 मुस्लिम जातियों का रिव्यू करवाने जा रही है ऐसे में इन 14 जातियों में यह शामिल है जिनमे कायमखानी,गद्दी, देशवाली, मनिहार, सिंधी-मुसलमान,चौबदार, कोटवाल, कसाई,खेलदार, बीसायती, मेव,मिरासी,कठात धोबी-मुसलमान,गढीत- नागोरी शामिल हैं.

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