Narayana Murthy Latest Book: भारत हर साल औसतन 15 लाख इंजीनियर पैदा करता है. जिनमें से सिर्फ 45% इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड की डिमांड को पूरा कर पाते है. इन 55 फीसद (6,75,000) लोगों में से अधिकांश लोगों का सपना इंफोसिस (Infosys) में जाने का होता है.
साल 1981 में मिलकर बनाया
आज इंफोसिस (Infosys) भारत की दिग्गज IT कंपनियों में से एक है. इस कंपनी को एन आर नारायण मूर्ति (N.R. Narayana Murthy) और उनके साथियों ने साल 1981 में मिलकर बनाया था. आज इस कंपनी में लाखों कर्मचारी काम करते हैं. इंफोसिस कंपनी साल 1999 में अमेरिकी शेयर बाजार (न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) में लिस्ट हुई और ऐसा गौरव हांसिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी थी. किसी आम भारतीय मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले नारायण मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) से 10,000 रुपये लेकर इस कंपनी की नींव रखी थी.
70 घंटे काम करना होगा
नारायण मूर्ति ने बीते अक्टूबर माह में एक बयान दिया था. जिस कारण हर तरफ उनकी ही बात हो रही थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि 'अगर भारत को तेजी से ग्रोथ (Indian Economy Growth) हांसिल करना है तो युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना होगा, सप्ताह में 6 दिन तक लगातार करना होगा यानी कि करीब 12 घंटे हर दिन. इस बयान के बाद से पूरे ही देश में एक बहस छिड़ गई थी. जहां कुछ लोग नारायण मूर्ति के विचारो से सहमत हुए तो वहीं कुछ असहमत. वहीं कुछ का मानना था कि काम करने का समय नहीं, बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है.
CNBC-TV18 को दिए एक साक्षात्कार में 77 वर्षीय नारायण मूर्ति ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा था कि "किसान और कारखाने के कर्मचारी बहुत कड़ी मेहनत करते हैं" और भारत में कड़ी मेहनत आम बात है क्योंकि ज्यादातर लोग शारीरिक रूप से मांग वाले पेशे अपनाते हैं.
उन्होंने कहा, "इसलिए, हममें से जिन लोगों ने इन सभी शिक्षाओं के लिए सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के कारण भारी छूट पर शिक्षा प्राप्त की है. वे भारत के कम भाग्यशाली नागरिकों के प्रति अत्यधिक कड़ी मेहनत करने के लिए बाध्य हैं."
हाल ही में आई नई बुक
मगर इस बार उनका चर्चा में आने का दूसरा कारण है. दरअसल हाल ही में भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी (Chitra Banerjee Divakaruni) ने सुधा मूर्ति (Sudha Murty) और नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) के जीवन के शुरुआती वर्षों के बारे में जानकारी देते हुए एक किताब लिखी है. जिसका नाम "एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति" है. इस पुस्तक में उनके बारे में ऐसी और भी कई बातें बताई गई हैं.
अमेरिकी व्यवसायी ने बक्से पर सुलाया
न्यूयॉर्क स्थित कंपनी ‘डेटा बेसिक्स कॉरपोरेशन' के प्रमुख डॉन लिल्स एक तेज-मिजाज वाले क्लाइंट (ग्राहक) थे और वह मूर्ति को ज्यादा पसंद नहीं करते थे. इंफोसिस के शुरुआती दिनों में जब नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) एक बार किसी काम के सिलसिले में यूएस गये थे तो एक अमेरिकी व्यवसायी (American businessman) ने उन्हें अपने घर के भंडार कक्ष में एक बड़े बक्से पर सुलाया था, जबकि उनके घर में चार बेडरूम थे.
भुगतान करने में करते थे देरी
किताब में आगे लिखा गया, "वह अक्सर सेवा के बदले में भुगतान करने में देरी करते थे और इस बात को लेकर मूर्ति उनके गुस्से का निशाना बन जाते थे, वह अपनी बात पर अड़े रहते थे और सेवाओं के लिए समय पर भुगतान करने से इनकार कर देते थे. जब मूर्ति और उनके इंफोसिस सहयोगियों को मैनहट्टन में उनसे मिलने जाना होता था तो डॉन उन्हें होटल बुक करने के लिए समय पर अनुमति नहीं देते थे."
खुद बिना खाना खाए ही सो जाती थीं
उन्होंने पत्नी को कहा, "जब मेरे पिता जब बिना सूचना के किसी को घर पर आमंत्रित करते थे तो वह (मां) अक्सर मेहमान को अपने हाथ से बना खाना परोसती थीं और खुद बिना खाना खाए ही सो जाती थीं और डॉन यहां मुझे बिना खिड़की वाले भंडार कक्ष में एक बड़े बक्से पर सुलाकर खुद अपने शानदार बिस्तर पर नींद का आनंद ले रहा था."
पुस्तक में यह भी उल्लेख किया गया कि कैसे एक अच्छी इंजीनियर होने के बावजूद मूर्ति अपनी पत्नी के इन्फोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे. पुस्तक में इसी तरह की और भी बातें भी बताई गई हैं.