Rajasthan Panchayat Chunav: राजस्थान में पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने का सीधा असर अब गांवों के विकास पर दिखने लगा है. इस देरी कि वजह से अब जयपुर में पंचायत समिति प्रधानों ने मोर्चा खोल दिया है. कार्यकाल खत्म होने पर खुद को प्रशासक बनाए जाने की मांग को लेकर दो सौ से ज्यादा प्रधान राजधानी में डेरा डाले हुए हैं. उनका दावा है कि पंचायतों में पिछले प्रशासनिक व्यवस्था सिर्फ कागज़ी औपचारिकताओं तक सिमट गई है और जमीनी स्तर पर कामकाज लगभग ठप है. हालात यह हैं कि केंद्र सरकार ने तीन हजार करोड़ रुपए का फंड रोक दिया है और पंचायतों में तैनात प्रशासक व्यवस्था विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम साबित हो रहे है.
प्रधान संघ के अध्यक्ष दिनेश सुंडा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हाउस जाकर मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा. उसके बाद पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर से मुलाकात हुई. प्रधान अब आगे की रणनीति को लेकर बैठक करने वाले हैं.
गांवों के बुनियादी ढांचे की हालत बिगड़ी
राजस्थान में पंचायत चुनाव तय समय पर नहीं होने का असर अब गांव की सरकारी सेवाओं पर दिख रहा है. चुने हुए जन प्रतिनिधियों के बिना पंचायतों की भूमिका सीमित हो गई है और विकास कार्यों की रफ्तार लगभग रुक गई है. सरपंच संघ का भी कहना है कि पिछले डेढ़ साल से केंद्र से कई योजनाओं की राशि नहीं आई है. गांवों के बुनियादी ढांचे की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. पेयजल, शौचालय निर्माण, सड़क और सार्वजनिक स्थानों की नियमित सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रभावित हैं.
राज्य का तीन हजार करोड़ रुपए का फंड रोका
चुनाव न होने की वजह से पंचायतों को सबसे बड़ा झटका वित्तीय मोर्चे पर लगा है. केंद्र सरकार ने पंचायत चुनाव देरी से कराने पर राज्य का तीन हजार करोड़ रुपए का फंड रोक दिया है. इस राशि में वित्त वर्ष 2024 25 की पहली किस्त तेरह सौ करोड़ और दूसरी किस्त अठारह सौ करोड़ रुपए शामिल हैं जो जून जुलाई और नवंबर में जारी होनी थी. वित्त आयोग की गाइडलाइंस साफ कहती हैं कि चुने हुए जनप्रतिनिधि न होने पर फंड जारी नहीं होगा और यही वजह है कि राजस्थान को अब तक एक भी रुपया नहीं मिला है. कई ग्राम पंचायतों में विकास कार्य एक साल से पूरी तरह रुके पड़े हैं. समस्या इतनी गंभीर है कि सवा लाख पंच और ग्यारह हजार से ज्यादा सरपंचों को एक साल से मानदेय तक नहीं मिला है.
चुनाव फिर टलते नजर आ रहा
दूसरी ओर राज्य सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन लागू करने की अपनी मंशा पहले ही जाहिर कर चुकी है. राज्य निर्वाचन आयोग भी इसी दिशा में तैयारी कर रहा है. हाई कोर्ट चुनाव जल्द कराने के निर्देश दे चुका है लेकिन एसआईआर रिपोर्ट और ओबीसी प्रतिनिधित्व आयोग की रिपोर्ट लंबित होने के चलते चुनाव फिलहाल टलते हुए दिखाई दे रहे हैं. अनुमान यह है कि पंचायत और निकाय चुनाव मई जून के बीच कराए जा सकते हैं.
इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि पंचायत चुनाव में देरी से प्रशासनिक ढांचा कमजोर हुआ है और ग्रामीण विकास की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. केंद्र का फंड जारी न होने से हालात और कठिन हो गए हैं और ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं से भी समझौता करना पड़ रहा है. चुनाव कब होंगे यह अभी तय नहीं, लेकिन गांवों का इंतजार लंबा होता जा रहा है.
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