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राजस्थान में अब गैर RAS अधिकारी भी होंगे IAS में प्रमोट, हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए RAS एसोसिएशन पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

राजस्थान में गैर आरएएस अधिकारियों के IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है. राजस्थान हाईकोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया है.

राजस्थान में अब गैर RAS अधिकारी भी होंगे IAS में प्रमोट, हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए RAS एसोसिएशन पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

Rajasthan IAS Promotion: राजस्थान में पिछले तीन सालों से एक मामला हाईकोर्ट में अटका हुआ था, इस वजह से प्रदेश में गैर RAS अधिकारियों का IAS में प्रमोशन का मसला अटका हुआ था. लेकिन अब राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है. वहीं इस मामले में आरएएस एसोसिएशन पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने यह जुर्माना कोर्ट का समय बर्बाद करने को लेकर लगाया है.

दरअसल, आरएएस एसोसिएशन ने साल 2023 में राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका के बाद कोर्ट ने गैर आरएएस सर्विस से IAS में प्रमोट करने की नियम पर रोक लगा दी गई थी. अब इसी याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आया है.

आरएएस एसोसिएशन की याचिका खारिज

न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने 5 दिसंबर को आरएएस एसोसिएशन की उस याचिका को खारिज कर दिया है. जिससे गैर आरएएस सर्विस से IAS में प्रमोशन पर रोक लगी थी. प्रमोशन की रोक अब कोर्ट के फैसले के बाद हट गई है. कोर्ट ने इस याचिका को व्यक्तिगत हितों के लिए बताया और कहा कि कोर्ट का समय भी बर्बाद किया गया. ऐसे में एसोसिएशन पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.

सरकार 15 प्रतिशत गैर RAS अधिकारियों को कर सकती है IAS में प्रमोशन

सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा- सरकार नियमों के तहत ही नॉन आरएएस से आईएएस में प्रमोशन कर रही थी. नियमों में साफ है कि सरकार प्रमोशन के 15 प्रतिशत पदों पर नॉन आरएएस अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन कर सकती है. शेष पदों पर आरएएस अधिकारियों को ही आईएएस में पदोन्नत किया जा रहा है. आरएएस एसोसिएशन की ओर से लगाई याचिका से लगता है कि यह केवल निजी स्वार्थ के चलते लगाई गई है. केवल इस आशंका से की इन्हें प्रमोशन के अवसर कम मिलेंगे. इस आधार पर यह याचिका लगाई गई है.

लेकिन कोर्ट ने कहाहाआरएएस एसोसिएशन की ओर से लगाई याचिका से लगता है कि यह केवल निजी स्वार्थ के चलते लगाई गई है. केवल इस आशंका से की इन्हें प्रमोशन के अवसर कम मिलेंगे. इस आधार पर यह याचिका लगाई गई है.

क्या है आरएएस एसोसिएशन  की आपत्ति

राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद (RPSC) की ओर से बहस करते हुए एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा- राज्य सरकार केवल विशेष परिस्थितियां होने पर ही अन्य सेवाओं के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत कर सकती है. उसमें भी स्टेट सिविल सर्विसेज के 33.33 प्रतिशत कोटे का 15 प्रतिशत अन्य सेवाओं से ले सकती है. सरकार तो हर साल पर्याप्त आरएएस ऑफिसर होने के बाद भी अन्य सेवाओं से आईएएस में पदोन्नति के लिए यूपीएससी को सिफारिश भेज रही है.

द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) नियम 1954 के तहत राज्य सरकार को यह पावर है कि वह नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने की सिफारिश यूपीएससी को भेज सकती है. इसके लिए जरूरी है कि राज्य में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हों. वहीं, जिस अधिकारी का इस पद के लिए चयन किया जा रहा है, उस में कोई विशेष योग्यता हो. जो मौजूदा सिविल सर्विसेज के किसी भी अधिकारी में नहीं हो. केवल उसी सूरत में नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारी को आईएएस में पदोन्नत किया जा सकता है.

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