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दीवाली की आतिशबाजी से खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण का स्तर, कागजों तक सीमित रह गए प्रशासन के नियम

दीपावली पर राजस्थान में जबरदस्त आतिशबाजी के कारण प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंच गया. प्रशासन द्वारा लगाए गए ग्रैप की पाबंदियों के बावजूद लोगों ने नियमों की धज्जियां उड़ाईं. इस स्थिति ने अस्थमा के मरीजों और बुजुर्गों के लिए मुश्किलें पैदा कर दीं.

दीवाली की आतिशबाजी से खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण का स्तर, कागजों तक सीमित रह गए प्रशासन के नियम
प्रतीकात्मक तस्वीर

Diwali Air Pollution: देशभर में दीपावली का त्योहार धूम-धाम से मनाया गया और लोगों ने जमकर आतिशबाजी भी की. शुक्रवार को अलवर जिले में मनाई गई दीपावली त्योहार के दौरान हुई आतिशबाजी से प्रदूषण का लेवल काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. एक तरफ ग्रैप (Graded Response Action Plan) की पाबंदियां चल रही हैं, दूसरी तरफ आतिशबाजी भी जबरदस्त की जा रही है. ग्रैप की पाबंदियों के बावजूद भी इस वायु प्रदूषण सुधार पर कोई असर दिखाई नहीं दिया.

दिवाली पर जिस तरीके से आतिशबाजी की जाती है, उसी तरीके से आतिशबाजी हुई. हालांकि जिला प्रशासन ने ग्रैप की पाबंदियों के बीच आतिशबाजी में ग्रीन पटाखे जलाने के निर्देश दिए. लेकिन इनसबके बावजूद प्रशासन के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं और ये आदेश महज कागजों तक सीमित होकर रह गए.

राजधानी जयपुर में AQI 328 तक पहुंच चुका है. गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अनुसार, भिवाड़ी में AQI 302 दर्ज किया गया है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है. जबकि चूरू में AQI 247, दौसा में AQI 198 और धौलपुर AQI 218 दर्ज किया गया है. 

सांस के मरीजों और बुजुर्गों की बढ़ी परेशानी

लोगों द्वारा ग्रीन पटाखे की आड़ में जबरदस्त आतिशबाजी की गई, देर रात तक आतिशबाजी चलती रही. दिवाली पूजन के बाद 7:30 बजे से शुरू हुई यह पटाखे की आवाज देर रात तक गूंजती रही. इसकी वजह से चारों ओर धुआं ही धुआं हो गया और वायु प्रदूषण जबरदस्त फैल गया. जो अस्थमा और अन्य बीमार लोगों के लिए खतरे के निशान पर पहुंच गया. बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति रात में बाहर नहीं निकल सके.

खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा प्रदूषण का स्तर

हालांकि जिला प्रशासन गंधक-पोटाश से बनी आतिशबाजी पर पूरी तरीके से रोक का दावा कर रही थी, लेकिन यह रोक काफी नहीं थी. लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और आतिशबाजी ऐसी ही नहीं जमीन पर चलने वाली आतिशबाजी हवा में ऊपर उठकर बम फूटने वाली आतिशबाजी जो सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई. हालत यह रहे की पूरी रात चली आतिशबाजी के कारण सुबह 10:00 तक भी प्रदूषण का स्तर नीचे नहीं गिरा. अलवर शहर के अलावा सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी, टपूकड़ा, शाहजहांपुर और नीमराना में भी प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया.

प्रदूषण रोकने के दावे कागजों तक सीमित

अलवर जिले में प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण विभाग ने पाबंदियां लगाई हुई है, जिसमें खास तौर से निर्माण, सड़कों पर धूल न उड़े इसके लिए कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. लेकिन आम जन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हैं, वह आदेश निकलने के अलावा कोई काम नहीं करते है.

हालांकि आतिशबाजी को लेकर जिला प्रशासन ने यह दावा किया था कि जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा आतिशबाजी होगी या वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा होगा. वहां संबंधित इलाके के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. लेकिन इस बात का कोई असर दिखाई नहीं दिया, सिर्फ यह दावे सिर्फ कागजों में ही रहे.

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