वैसे तो आपने पेपर कपड़े और कैनवस पर चित्रकारी जरूर देखी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनूठी चित्रकारी से रूबरू कराएंगे, जिसे जांनकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. यह कला करीब 500 वर्ष पुरानी है, जिसे विशेषकर कृष्ण मंदिरों में बनाया जाता है. इस कला को जलसांझी के नाम से जाना जाता है, जो अब उदयपुर की एक पहचान भी बन चुकी है. चित्रकला का यह प्रतिरूप फिलहाल राजस्थान के उदयपुर में प्रचलित है.
पानी पर उकेरी जाती है अनूठी पेंटिग
राजस्थान के उदयपुर में पानी पर पेटिंग उकेरी जाती है. शहर के जगदीश चोक में स्थित गोवर्धननाथजी के मंदिर में बरसों से जलसांझी बना रहे 60 साल के राजेश वैष्णव बताते हैं कि जलसांझी में कृष्ण लीलाओं का चित्रांकन किया जाता है. किसी बड़े पात्र में पानी भर कर उसमें तरह तरह के रंगों से भगवान कृष्ण की लीलाओं का चित्रांकन किया जाता है.
लुप्त होती जा रही है जलसांझी कला
उदयपुर के 60 वर्षीय राजेश पिछले कई सालों से इस जलसांझी को बना रहे है. राजेश वैष्णव को हुनर उनको विरासत में मिला है. राजेश बचपन से ही इस कला में निपुण हो गS थे. उम्र बढने के साथ साथ अब इस काम में राजेश का परिवार भी उनका सहयोग देने लगा है.
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