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Rajasthan By-Elections: राजस्थान की 7 सीटों के लिए मतदान कल, 69 उम्मीदवार मैदान में; 5 पर त्रिकोणीय फाइट, समझें हर सीट का समीकरण

Rajasthan Assembly By-Elections 2024: राजस्थान की 7 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार 13 नवंबर को होना है. मतदान की तैयारियां जोर-शोर से पूरी की जा रही है.

Rajasthan By-Elections: राजस्थान की 7 सीटों के लिए मतदान कल, 69 उम्मीदवार मैदान में; 5 पर त्रिकोणीय फाइट, समझें हर सीट का समीकरण
Rajasthan By-Elections: राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान कल, समझें हर सीट का समीकरण.

Rajasthan Assembly By-Elections 2024: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा को बड़ी जीत मिली थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने जबरदस्त वापसी की. अब विधानसभा उपचुनाव दोनों दलों के लिए अग्निपरीक्षा जैसा है. प्रदेश की सरकार लोग कितने संतुष्ट है, इसकी एक बानगी उपचुनाव के नतीजों से देखने को मिलेगी. प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर कल मतदान होना है. इन सात विधानसभा सीट दौसा, झुंझुनूं, देवली उनियारा, रामगढ़, खींवसर, सलूंबर और चौरासी में कुल 69 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. विधानसभा के उपचुनाव होने के बाद भी सभी सीटों पर जबरदस्त मुकाबला है.

लोकसभा चुनाव में गठबंधन 25 में से 11 सीट जीतने कांग्रेस पर लोक सभा चुनाव के परिणामों को दोहराने का दबाव है वहीं क्षेत्रीय दल के तौर पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और बाप के लिए अपना सियासी वजूद बचाने की लड़ाई है. लेकिन सबसे बड़ी परीक्षा भाजपा के लिए हैं क्योंकि 10 महीने पुरानी राजस्थान की भजनलाल सरकार के लिए ये उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह देखे जा रहे हैं. 

इसकी वजह बिलकुल साफ़ है. इन सात सीटों में से केवल एक सीट एक भाजपा के पास थीं ये ही कारण रहा कि भाजपा की ओर से टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार और रणनीति का पूरा ज़िम्मा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ख़ुद संभाले रखा है . 

7 में 5 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला

देखा जाये तो इन सभी सात सीटों पर कड़ी टक्कर है लेकिन 5 सीटों खींवसर, चौरासी, सलूंबर, झुंझुनू और देवली उनियारा सीट त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है. जबकि दौसा और रामगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुक़ाबला है. 

दौसा सबसे हॉट सीट

इन चुनावों में हॉट सीट की बात करें तो दौसा सीट की चर्चा सबसे ज़्यादा हो रही है. दौसा विधानसभा सीट किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट की वजह से हॉट सीट बन गई है इस सीट पर इन दोनों दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बीजेपी से मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगन मोहन मीणा मैदान में है तो पायलट परिवार के नजदीकी माने जाने वाले दीनदयाल बैरवा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. 

खींवसर में हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर

खींवसर विधानसभा सीट पर भी सबकी नजरें हैं. यहां आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर मुक़ाबला भाजपा व कांग्रेस के साथ त्रिकोणीय हो गया है.

चौरासी में बाप को अपना गढ़ बचाने की चुनौती

इसके अलावा आदिवासी बेल्ट की चौरासी सीट भी चर्चा में है . यहाँ राजस्थान में तेज़ी से उभरने वाली बाप पार्टी के सामने भी अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है. चौरासी से राजकुमार रोत विधायक थे. बांसवाड़ा सीट से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. 

पाँच सीटों पर है त्रिकोणीय मुक़ाबला

झुंझुनूं 
राजेंद्र भांबू (बीजेपी)- अमित ओला (कांग्रेस)- राजेंद्र गुढ़ा (निर्दलीय)

खींवसर-
रेवंत राम (बीजेपी)- रतन चौधरी (कांग्रेस)- कनिका बेनीवाल (RLP)

चौरासी- 
कारीलाल ननोमा (बीजेपी)- महेश रोत (कांग्रेस)- अनिल कटारा (BAP)

सलूंबर-
शांता देवी (बीजेपी)- रेशमा मीणा (कांग्रेस)- जीतेश कटारा (BAP)

देवली उनियारा-
राजेंद्र गुर्जर (बीजेपी)- केसी मीणा (कांग्रेस)- नरेश मीणा (निर्दलीय)

दो सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच टक्कर

दौसा- जगमोहन मीणा (बीजेपी)- दीनदयाल बैरवा (कांग्रेस)
रामगढ़- सुखवंत सिंह (बीजेपी)- आर्यन जुबेर खान (कांग्रेस)

उपचुनाव में स्थानीय के बदले धारा 370, लैंड जिहाद जैसे मुद्दें 

राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं लेकिन इन चुनावों में स्थानीय मुद्दे की चर्चा की बजाय धारा 370 राम मंदिर और लैंड जिहाद जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की गूंज सुनाई दी . मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से लेकर भाजपा के सभी बड़े दिग्गज नेता अपने भाषणों में राहुल गांधी  और नेशनल कांफ्रेंस को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने की चुनौती देते नजर आये.

इसके अलावा मुस्लिम बहुल इलाक़े वाली सीट रामगढ़ में शिक्षा मंत्री ने लैंड जिहाद का मुद्दा उठाया है तो वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री रघु शर्मा ने  देवली उनियारा सीट पर अपने विवादित बयान के ज़रिए 13  नवंबर को मतदान के बाद राजस्थान में क़त्लेआम होने की बात कही है. 

कांग्रेस खेमे से गहलोत, पायलट की सक्रियता कम दिखी

राजस्थान में बिना गठबंधन के चुनाव लड़ रही कांग्रेस के कई बड़े चेहरे चुनाव में सक्रिय तौर पर दिखाई नहीं दिए. महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के चलते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत सचिन पायलट इन चुनावों पर अपना पूरा समय नहीं दे पाए. ऐसे में भाजपा को घेरने की चुनौती प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित स्थानीय नेताओं के ज़िम्मे रही जिसके चलते लोक सभा चुनाव जैसा माहौल कांग्रेस बनाने में क़ामयाब नहीं हो पाई.

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