Rajasthan Assembly Election 2023: कहते हैं कि राजनीति ही एक क्षेत्र है जहां न योग्यता देखी जाती है और न ही उम्र. यदि प्रत्याशी जिताऊ है तो राजनीतिक दल कम योग्यता वाले और उम्र दराज प्रत्याशियों को भी चुनावी मैदान में उतार देती है और मतदाताओं के पास इनके अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचता. बांसवाड़ा जिले में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. बांसवाड़ा जिले में प्रमुख 11 प्रत्याशियों में से मात्र दो प्रत्याशी ही स्नातक उत्तीर्ण हैं. शेष 9 प्रत्याशियों की योग्यता 8वीं से 12वीं कक्षा तक ही है.
कौन नेता कितना शिक्षित?
कांग्रेस की ओर से गढ़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारे गए पूर्व प्रधान शंकर लाल चरपोटा (Shankar Lal Charpota) की योग्यता मात्र 8वीं है. वहीं इसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कैलाश मीणा (Kailash Meena) 10वीं पास हैं. इसी तरह घाटोल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नानालाल निनामा (Nanalal Ninama) जहां 9 वीं कक्षा तक पढ़े हैं, तो पूर्व सांसद और भाजपा प्रत्याशी मानशंकर निनामा (Manshankar Ninama) 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं. कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे पूर्व संसदीय सचिव भीमा भाई (Bhima Bhai) 10वीं और कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक रमिला खड़िया (Ramila Khadiya) 12वीं उत्तीर्ण हैं.
10वीं तक पढ़ें हैं मईडा
बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय मास्टर ऑफ आर्ट्स हैं, तो उनके सामने भाजपा की ओर से चुनाव मैदान में खड़ी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश मंत्री कृष्णा कटारा ने 12वीं तक शिक्षा प्राप्त की है. त्रिकोणीय मुकाबले में फसी बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान में जनजाति विकास राज्य मंत्री अर्जुनसिंह बामनिया ने जहां 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. तो वहीं भाजपा की ओर से उनके सामने चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री धनसिंह रावत ने एलएलबी कर रखी है. उधर, निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे भाजपा के बागी नेता हकरू मईडा मात्र 10वीं कक्षा तक ही पढ़े लिखे हैं.
'राजनीति की पढ़ाई अलग'
चुनावी मैदान में लड़ रहे अधिकांश प्रत्याशियों का मानना है कि शिक्षा का अपना स्थान है और सभी को शिक्षित भी होना चाहिए, लेकिन राजनीति की पढ़ाई अलग है. यहां लोग अपनी ओर से अंक देते हैं और जिसको अधिक अंक प्राप्त होते हैं, वह विजेता कहलाता है, और लोगों की सेवा में शिक्षा बाधा नहीं बनती.