राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले विधायकों के विरोधी बयान से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. कांग्रेस के विधायक अपने ही मंत्री और सांसद के खिलाफ बयान दे रहे हैं तो भाजपा की विधायक सीएम गहलोत के काम की तारीफ कर रही हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को विरोधी बयान देने के कारण पार्टी से निलंबित होना पड़ा है. हालांकि इसके बाद भी अलग-अलग दलों के नेता पार्टी लाइन से अलग बयान दे रहे हैं. इससे पार्टी हाईकमान भी चिंता में है. हालांकि पार्टी के सीनियर नेता इन विरोधी बयान देने वाले नेताओं पर नजर रख रहे हैं. देखना है कि इस विरोधी बयान का खामियाजा विधायक को उठाना पड़ता है या पार्टी को.
केंद्रीय मंत्री पर सवाल उठाकर पार्टी ने निलंबित हुए कैलाश मेघवाल
बीजेपी में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल द्वारा अपनी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. हालांकि, मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जमकर तारीफ की थी, जिसको लेकर पार्टी के पदाधिकारी नाराज थे.
बीजेपी विधायक सूर्यकांता व्यास ने की सीएम गहलोत की तारीफ
इस बीच, जोधपुर शहर से 6 बार से लगातार बीजेपी की विधायक रहीं सूर्यकांता व्यास ने भी एक वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री गहलोत की तारीफ की थी. हालांकि, पार्टी के संगठन मंत्री चंद्रशेखर ने उन्हें हिदायत दी कि उनकी सरकार आने के बाद और ज्यादा काम हो जाएंगे, ऐसे तारीफ करना ठीक नहीं है. इसके बाद व्यास ने अपना रुख बदल लिया और कहा कि जोधपुर में विकास नहीं हुआ है.
कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने पूर्व सांसद पर लगाया आरोप
वहीं, कांग्रेस में ओसियां विधानसभा से विधायक दिव्या मदेरणा ने पिछले शनिवार को मुख्यमंत्री द्वारा मूर्ति अनावरण के कार्यक्रम में नहीं आने की बात को लेकर कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री और पार्टी हाई कमान को पहले से सूचित कर दिया था, कि वह पाली के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ के साथ मंच साझा नहीं करेगी. मदेरणा ने जाखड़ पर खुला आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें और उनकी मां को गालियां दी हैं.
दोनों पार्टियों के विधायक कर रहे बयानबाजी
इन घटनाओं से साफ है कि दोनों ही पार्टियों में विधायकों के बयान बदल रहे हैं. यह बेचैनी का एक बड़ा संकेत है. यह देखना होगा कि दोनों ही पार्टियां चुनाव के लिए क्या रणनीति तैयार करती हैं. नेताओं की बयानबाजी पर आम लोग मजे ले रहे हैं. वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनाव के समय में बयानबाजी निजी हितों की पूर्ति की जाती है.