विज्ञापन

Rajasthan: ईट भट्टा मालिकों को हाईकोर्ट से बड़ी जीत, नहीं देना होगा प्रदूषण बोर्ड का मुआवजा  

राजस्थान में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. जिसमें बताया की अब ईंट भट्टा चलाने वालों को प्रदूषण मुआवजा नहीं देना होगा. 

Rajasthan: ईट भट्टा मालिकों को हाईकोर्ट से बड़ी जीत, नहीं देना होगा प्रदूषण बोर्ड का मुआवजा  
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर.

Rajasthan News : राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में ईंट भट्टा चलाने वालों को जोधपुर हाईकोर्ट ने जबरदस्त राहत दी है. कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उस फैसले को पलट दिया जिसमें ईंट भट्ठा मालिकों पर लाखों रुपये का पर्यावरण मुआवजा ठोंका गया था. यह फैसला न सिर्फ 56 भट्ठा मालिकों के लिए खुशखबरी है बल्कि पूरे उद्योग को नई उम्मीद जगा रहा है. अब बोर्ड को साफ निर्देश मिला है कि बिना ठोस कानून के ऐसी मनमानी नहीं चलेगी. 

टाटा ब्रिक्स सहित 56 मालिकों की याचिका पर लगी मुहर

श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ तहसील में टाटा ब्रिक्स कंपनी जैसे बड़े नाम वाले 56 ईंट भट्ठा मालिकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इनकी अगुवाई में वरिष्ठ वकील मनीष सिसोदिया ने दलीलें रखीं. मामला साल 2021 का है जब टाटा ब्रिक्स ने 26 नवंबर को बोर्ड से भट्ठा चलाने की मंजूरी मांगी. फरवरी 2022 में उन्हें 2031 तक की सहमति मिल गई. लेकिन उसी दौरान जनवरी 2022 में बोर्ड ने शो-कॉज नोटिस थमा दिया. फिर मार्च में अचानक 15.60 लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाकर सबको चौंका दिया. मालिकों का कहना था कि यह पूरी तरह गैरकानूनी है. जस्टिस सुनील बेनीवाल की बेंच ने सुनवाई के बाद याचिकाओं को सही ठहराया. कोर्ट ने साफ कहा कि बोर्ड का यह कदम बिना कानूनी आधार के है.

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला बना हाईकोर्ट का आधार

इस फैसले की ताकत सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से आई. 4 अगस्त 2025 को DPCC बनाम लोधी प्रॉपर्टी कंपनी लिमिटेड मामले में शीर्ष अदालत ने सख्त लहजा अपनाया. कोर्ट ने कहा कि राज्य प्रदूषण बोर्ड बिना विधायी ढांचे के मुआवजा नहीं वसूल सकता. क्षतिपूर्ति लगाने के लिए स्पष्ट नियम कानून और प्रक्रिया जरूरी है.

साथ ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन भी अनिवार्य. हाईकोर्ट ने इस फैसले को पुराने मामलों पर भी लागू माना. भले ही मुआवजा 2022-23 का हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां पूर्वव्यापी रूप से अमल में लाई जाएंगी. इससे विवादित नोटिस पत्र और आदेश सब रद्द हो गए.

राशि वापसी का सख्त आदेश छह सप्ताह में पूरी हो

हाईकोर्ट ने राहत देते हुए व्यावहारिक कदम भी उठाए. अगर बोर्ड ने मालिकों से कोई रकम वसूल ली है तो इस फैसले की कॉपी मिलने के 6 सप्ताह के अंदर पूरी राशि लौटानी होगी. अगर वसूली नहीं हुई तो बोर्ड अब कोई और कदम नहीं उठाएगा. यह निर्देश ईंट भट्ठा उद्योग को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाएगा. जिले में सैकड़ों परिवार इससे जुड़े हैं और यह फैसला उनके लिए वरदान साबित होगा. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि बोर्ड का मौजूदा फॉर्मूला सिर्फ दिशा निर्देशों पर टिका है न कि कानून पर. इसलिए यह अमान्य है.

भविष्य के लिए सरकार को चेतावनी नए नियम बनाओ

फैसले में कोर्ट ने भविष्य को भी संभाला. बोर्ड को मुआवजा लगाने का हक है लेकिन पहले राज्य सरकार को मजबूत नियम बनाना होगा. इनमें साफ तरीके से लिखा हो कि मुआवजा कैसे तय होगा वसूला जाएगा. हर आरोपी को पहले सफाई का मौका मिलना चाहिए. यह सुनिश्चित करेगा कि प्रदूषण नियंत्रण सख्त लेकिन निष्पक्ष रहे. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बोर्ड की कार्रवाई ज्यादा पारदर्शी बनेगी.

यह भी पढ़ें- कोटकासिम में मिलावटी पेट्रोल का अवैध कारोबार पकड़ा, 18,500 लीटर इथेनॉल बरामद; तीन गिरफ्तार

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close