Rajasthan Elections 2023: प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन चल रहा है. सरहद से सटे जिले जैसलमेर का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. यहां निर्दलीय लड़ रहे एक महंत के नॉमिनेशन ने सभी भाजपाईयों की नींद उड़ा दी थी, लेकिन अब यही महंत जनसंवाद कर भाजपा के पक्ष में मतदान की अपील करेंगे.
गौरतलब है ऐसा अंदेशा था कि महंत के नॉमिनेशन पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ जाएगी, लेकिन महंत द्वारा नॉमिनेशन वापस लेने के बाद यह कदम कांग्रेस के लिए फायदेमंद और भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हुआ है. क्योंकि भाजपा का साथ तो मिल गया, लेकिन उनके समर्थकों की नाराजगी मिटाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है.
टिकट नहीं मिलने से नाराज है ओबीसी समाज
सभी प्रमुख पार्टियों द्वारा जैसलमेर में मूल ओबीसी को टिकट नहीं देने से नाराजगी है. नाराजा नेताओं ने इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बागी हुए महंत को अपना समर्थन देकर चुनावी समर में उतारने का एलान किया था, लेकिन मूल ओबीसी नेताओं का यह दाव काम नहीं आया.
पहले ट्रोल हुई भाजपा, फिर भाजपा ने किया ट्रोल
नामांकन वापसी के अंतिम दिन मूल रूप से ओबीसी समुदाय ने गजरूप सागर मठ में बैठक रखी थी, लेकिन बैठक में पहुंचने से पहले ही महंत ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया. हालांकि महंत के नॉमिनेशन वापस लेने के कुछ वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा काफी ट्रोल हुई. तो वहीं महंत के बयान के बाद सोशल मीडिया पर भाजपा के आईटी वीर भी आक्रमण कर रहे है.
दो धड़ों में बंटे OBC
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ओबीसी वोटर्स इस बार दो धड़ो में बंट गए है. जो सामान्यत: भाजपा के वोटर्स माने जाते है, लेकिन इस बार महंत के नामांकन वापिस लेने के बाद से मूल ओबीसी का अधिक झुकाव कांग्रेस की तरफ देखने को मिल रहा है. हालांकि भाजपा दावा करती है कि सभी लोग का अलग मत है और काम को देखकर वोट किया जाता है. इस बार भी मूल ओबीसी परम्परागत रूप से भाजपा के साथ ही रहेगी.
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