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This Article is From Nov 08, 2023

निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे बागी प्रत्याशियों को मनाने पहुंचे कांग्रेसी नेता, नहीं बनी बात, खाली हाथ लौटे

प्रदेश की अधिकांश विधानसभा सीटों पर बागी नेता दोनों ही राजनीतिक दलों की गले की फांस बने हुए हैं.​​​​​​​ हालांकि यह स्थिति कल 9 नवंबर को साफ हो जाएगी, जब नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम सूची प्रकाशित होगी.

निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे बागी प्रत्याशियों को मनाने पहुंचे कांग्रेसी नेता, नहीं बनी बात, खाली हाथ लौटे
डूंगरपुर में बागी उम्मीदवारों से बातचीत करते कांग्रेसी नेता.
डूंगरपुर:

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में सभी 200 विधानसभा की सीटों पर होने वाले चुनाव की नामांकन प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है, लेकिन प्रदेश में दोनों ही पार्टियों में बागी नेताओं के विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं. विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस में बगावत बढ़ने लगी है. तो दूसरी ओर बागी नेताओं ने निर्दलीय तो कहीं अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाम अपना नामांकन दाखिल किया हैं.

कुछ ऐसा ही हाल डूंगरपुर विधानसभा सीट का है. चुनावी समर में राजनैतिक दल अब निर्दलीय नामांकन भरने वाले बागियों को मनाने में जुटी हुए है. इसी के तहत मंत्री महेंद्रजीत मालविया, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिनेश खोडनिया के नेतृत्व में कांग्रेसी नेता डूंगरपुर पहुंचे और बागी चुनाव लड़ने वाले नेताओं से मुलाक़ात कर समझाइश की. लेकिन बागियों के नहीं मानने पर उन्हें बैरंग ही लौटना पड़ा. कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय ताल ठोकने वाले बागियों को मनाने में लगी है.

इसी के तहत मंत्री महेंद्रजीत मालविया, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिनेश खोडनिया, और कांग्रेस जिला अध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार बागियों के घर पहुंचे.

इस दौरान वरिष्ठ नेताओं ने चौरासी विधानसभा सीट से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पीसीसी महासचिव महेंद्र बरजोड से समझाइश की. लेकिन बरजोड नहीं माने और उन्होंने नामांकन वापस लेने से साफ़ इनकार करते हुए चुनाव में निर्दलीय खड़े होने की बात कही. जिसके चलते वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को खाली हाथ ही लौटना पड़ा.

इसी के साथ मंत्री महेंद्रजीत मालविया, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिनेश खोडनिया, कांग्रेस जिला अध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार डूंगरपुर विधानसभा सीट से बागी चुनाव लड़ने वाले बिछीवाडा प्रधान देवराम रोत से भी मिलने पहुंचे. लेकिन देवराम रोत का मोबाइल भी स्विच ऑफ़ ही रहा, जिसके चलते देवराम रोत से उनकी मुलाक़ात नहीं हो पाई. कुछ इसी तरह ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को निराशा हाथ लगी. अगर दोनों सीट पर कांग्रेस से बागी प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में होते है तो कांग्रेस को दोनों ही सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़े सकता है.

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