राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है, जहां हजारों राज यहां के महलों और यहां की हवेलियों में दफन है. राजस्थान का नाम आते ही हमारे जेहन में राजा, रजवाड़ा, किले, हवेलियों की तस्वीरें जेहन में आने लगती है. राजस्थान के चुरू जिले के सरदारशहर में यूं तो अनेकों हवेलिया है. जो हमारे अतीत को दर्शाती है. इनमें से कुछ हवेलियां अब अपना स्वरूप वक्त के साथ-साथ खो रही है. सरदारशहर के वार्ड क्रमांक-11 में पींचा मार्ग पर ऐसे ही एक 149 साल पुरानी है 'राजस्थानी हवेली' इसका निर्माण साल 1872 में स्वर्गीय भीखमचंद जी चोरडिया ने करवाया था.
भीखमचंद जी चोरडिया के पोत्र ने ली है जिम्मेदारी
राजस्थान हवेली के चित्र इतिहास परंपरा को दर्शाते है. यहां बना हर चित्र या तो इतिहास दोहरा रहा है या कुछ अच्छे सन्देश दे रहा है, लेकिन वक्त के साथ-साथ यह हवेली अपना स्वरूप खोती गई है, लेकिन विरासत से प्रेम करने वाले भीखमचंद जी चोरडिया के पौत्र प्रकाशचंद्र चोरड़िया ने फिर से इस हवेली को जीवंत करने का संकल्प लिया. बीते 10 वर्षों से इस हवेली में जिस प्रकार की पहले चित्रकारी की गई थी, ठीक वहीं चित्रकारी वह फिर से करवा रहे है. ताकि ऐतिहासिक कला और संस्कृति को बचाया जा सके.
हवेली की फूलों के रंग से हो रही हैं पेंटिंग
पौत्र प्रकाशचंद्र चोरड़िया इस हवेली को विशेष रंगों से पेंटिंग करवा रहे है. शहर के प्रसिद्ध पेंटर युसुफ़ खोकर से बातचीत की गई. युसूफ खोकर पिछले 15 वर्षों से भी ज्यादा समय से इस हवेली में विशेष प्रकार की पेंटिंग बना रहे हैं. वह इस हवेली की कलाकृतियों को फूलों के रस से बने रंगों से बनाते है.
राजस्थान हवेली की पूरे देश में है चर्चा
जैसे-जैसे इस हवेली में पेंटिंग होती गई इस हवेली की चर्चाएं भी पूरे शहर और फिर राज्य में बढ़ती गई. आज इस हवेली में न सिर्फ सरदारशहर से बल्कि प्रदेश और देश के अन्य क्षेत्रों से भी लोग यहां की पेंटिंग देखने के लिए आते हैं और इस हवेली में बनी हुई पेंटिंग की सराहना करते हैं.
असली स्वरुप में लौटी ऐतिहासिक हवेली
पौत्र प्रतीक चोरड़िया ने बताया कि धोरों का शहर सरदारशहर का अपना एक इतिहास रहा है. यहां बड़े-बड़े संत, सेठ साहूकार हुए हैं. इस हवेली से भी हमारी भी अनेकों यादें जुड़ी हुई है. इसीलिए मेरे पिताश्री ने इस हवेली को फिर से वही पुराना स्वरूप देने की कल्पना की थी, जो अब सार्थक होती हुई नज़र आ रही है.
उन्होंने कहा, हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में हमें 15 वर्ष से भी ज्यादा का समय लग चुका है. और अभी संभवत कुछ समय और लगेगा. अभी हवेली का काम जारी है, लेकिन खुशी इस बात की कि धीरे-धीरे यह हवेली फिर से अपने अतीत में पहुंच गई है. जो चमक पहले इस हवेली की थी वही चमक आज फिर यह हवेली बिखेर रही है.
अधिकांश हवेली जर्जर अवस्था में हैं
सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका सैनी ने कहा शहर में वर्षों पहले बनीं हवेलियां आज जर्जर अवस्था में है और समय-समय पर पुरानी हवेलीया गिरने के मामले भी सामने आते हैं. वहींं, पुरानी जर्जर हवेलियों के मालिकों को समय-समय पर हवेलियों को गिराने के नोटिस भी दिए जाते हैं.
शहर का गौरव है यह हवेली
मोनिका सैनी ने बताया कि आज भी लोगों में अपने मायड़ भूमि के प्रति वहीं प्रेम प्यार मौजूद है. उन्होंने कहा कि राजस्थान हवेली सरदारशहर का गौरव और भी ज्यादा बढ़ा रही है. इस हवेली को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं. प्रकाशचंद्र के द्वारा हवेली को फिर से वही स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है. जो सराहनीय है. मैं चोरडिया परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
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