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This Article is From May 28, 2025

Rajasthan: पिछले 30 सालों से जंजीरों से जकड़ी है एक जिंदगी, परिवार ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

राजस्थान के जालौर जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक युवक पिछले 30 सालों से जंजीरों से जकड़ा हुआ है. इनका परिवार सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है. 

Rajasthan: पिछले 30 सालों से जंजीरों से जकड़ी है एक जिंदगी, परिवार ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
जालोर में पिछले 30 सालों से एक युवक जंजीरों से बंधा हुआ है.

Rajasthan News: राजस्थान के जालौर जिले से एक ऐसा मामला सामने आए है. जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. किसी भी सामान्य व्यक्ति को अगर कुछ समय के लिए जंजीरों में जकड़ दिया जाए तो वह छटपटा उठता है. इससे कल्पना कीजिए उस व्यक्ति को कैसा महसूस होता होगा, जो पिछले 30 सालों से जंजीरों में जकड़ा हुआ है. 

30 साल से जंजीरों से बंधा युवक

जानकारी के अनुसार, जिले के एक गांव में 30 साल के दिनेश कुमार को पिछले तीन दशकों से जंजीरों में बांधकर रखा गया है. मानसिक रूप से बीमार दिनेश और उनका अपाहिज भतीजा सुमित एक पेड़ के नीचे बनी झोपड़ी में खटिया पर जिंदगी काट रहे हैं. यह कहानी न केवल एक परिवार की मजबूरी को दर्शाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं की नाकामी को भी उजागर करती है.

बदहाली में पूरा परिवार  

दस लोगों का यह परिवार गरीबी की मार झेल रहा है. परिवार में कमाने वाला सिर्फ एक शख्स, गलबाराम, है जो मजदूरी करता है. बारिश के मौसम में झोपड़ी के आसपास पानी भर जाता है, जिससे दिनेश और सुमित की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. हरिजन समुदाय से होने के बावजूद परिवार को एससी/एसटी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिला. सरकारी मदद के अभाव में यह परिवार बेसहारा है.

मजबूरी में बांधना पड़ा जंजीरों से

दिनेश के पिता छगनलाल बताते हैं कि उन्होंने पालनपुर, मेहसाणा, अहमदाबाद और जोधपुर के अस्पतालों में दिनेश का इलाज कराया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. दिनेश घर में तोड़फोड़ करता, गालियां देता और मारपीट पर उतारू हो जाता. मजबूरी में परिवार को उसे जंजीरों से बांधना पड़ा. छगनलाल कहते हैं, "हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था."

सरकारी लापरवाही

परिवार ने कई बार सरकारी मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. दिनेश और सुमित को न विकलांग पेंशन मिल रही है, न ही मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ. NDTV की कोशिशों के बावजूद गांव के सरपंच ने फोन तक नहीं उठाया. यह साफ दर्शाता है कि सामाजिक कल्याण योजनाएं इस परिवार तक नहीं पहुंचीं.

परिवार की सरकार से पुकार

दिनेश की मां रोते हुए कहती हैं, "30 साल से हम इस दुख में जी रहे हैं. सरकार हमारी मां-बाप है, क्या वह हमारी मदद नहीं करेगी?" यह मामला समाज और सरकार से सवाल पूछता है कि आखिर कब तक यह परिवार जंजीरों में जकड़ा रहेगा?

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