
Leopard Attack In Rajasthan: राजस्थान में आए दिन तेंदुए और बाघ के हमले की घटनाएं सामने आती रहती हैं. बीते दिनों रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में एक बच्चे को बाघ उठा ले गया था. इसके अलावा बालोतरा की रिफाइनरी में भी दो मजदूरों पर तेंदुए ने हमला बोला था. अब झुंझुनूं के चिड़ावा इलाके के बुडानिया से तेंदुए के हमले की घटना सामने आई है. गांव के तीन लोगों पर हमला करने के बाद जयपुर से आई रेस्क्यू टीम पर ही तेंदुए ने हमला कर दिया है. हमले में रेस्क्यू टीम का एक सदस्य घायल हो गया है. ट्रेंकुलाइज इंजेक्शन के असर से बाघ बेहोश बताया जा रहा है.
दिनभर गांव में रही तेंदुए की दहशत
जानकारी के मुताबिक, बुडानिया के समीप ताल की ढाणी क्षेत्र में आज दिनभर करीब 12 घंटे तक तेंदुए की दहशत देखने को मिली. सुबह साढ़े पांच बजे तेंदुए ने गांव में पहला अटैक किया था. सुबह करीब साढ़े पांच बजे सेवानिवृत्त हवलदार हवासिंह झाझड़िया अपने पशुओं को पानी पिलाने के लिए घर से निकलकर खेत की तरफ पहुंचे थे.

इतने में ही तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया. हमले के बाद हवासिंह झाझड़िया का हो हल्ला सुनकर उनकी पुत्रवधु शर्मिला पहुंची तो तेंदुए ने शर्मिला पर भी हमला बोला दिया. इसके बाद वन विभाग और पुलिस को तेंदुए के हमले की सूचना दी गई. पुलिस और वन विभाग की टीम पहुंची, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला, जिसके बाद वे वापस लौट गए.
अस्पताल में पिता और पत्नी का इलाज करा रहे पवन झाझड़िया के पास करीब साढ़े 9 बजे उनके ही खेत के पड़ोसी रामरख के घर से फोन आया कि तेंदुए ने उनके परिवार की सुशीला धत्तरवाल पर हमला कर दिया, सुशीला कुएं की मोटर चलाने गई थी.
निशाना लगाया तो रेस्क्यू टीम पर किया अटैक
सूचना पर जयपुर से पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक तंवर के नेतृत्व में टीम पहुंची. टीम ने शिवराज बुडानिया के बंद पड़े घर में सीढी लगाकर देखा तो तेंदुआ एक पानी की टंकी के पास सोता हुआ नजर आया. डॉ. अशोक तंवर ने बेहोशी के इंजेक्टशन के साथ ट्रेंकुलाइज गन से उस पर निशाना लगाया, नहीं लगा. लेकिन दूसरा निशाना लगा तो तेंदुआ जग गया और अशोक तंवर पर हमला कर दिया. डॉ. अशोक तंवर दीवार के सहारे सीढ़ी पर खड़े थे, इसलिए वे नीचे आ गिरे.

ट्रेंकुलाइज गन से इंजेक्शन लगने के कारण तेंदुआ भी थोड़ी दूर पर जाकर बेहोश हो गया. जो बार-बार मूवमेंट कर रहा था. हालांकि, बाद में दोबारा बेहोशी के इंजेक्शन से निशाना साधकर तेंदुए को पिंजरे में डाला गया. बताया जा रहा है कि यह तेंदुआ बांसियाल की पहाड़ियों से घूमता घूमता यहां तक पहुंचा है. तेंदुए की उम्र पांच साल के लगभग बताई जा रही है.
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