Rajasthan politics: यूपी प्रशासन ने कावंड़ियों के मार्ग पर दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम लिखने का निर्देश दिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी. अब राजस्थान में बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य का एक बयान आया है. बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने अच्छी शुरुआत की है, जो व्यापारी कोई भी व्यवसाय करता है, अपनी आइडेंटिटी नहीं छुपाए.
"कांवड़ियों के मार्ग पर मीट की दुकान नहीं होनी चाहिए"
भाजपा विधायक आचार्य बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि कांवड़ियों के मार्ग पर मीट की दुकान नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि कांवड़ियों के लिए यह व्यवस्था होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को गुहार लगाएंगे और निवेदन करेंगे सच्चाई बताएंगे.
"आइडेंटिटी छुपाने से मतलब कोई झोल है"
उन्होंने कहा कि आइडेंटिटी छुपाने से मतलब है कि कोई झोल है. अगर वो रहीम है और राधे-राधे लिख रहा है और राधे राधे है और रहीम लिखे तो ठीक नहीं है. आइडेंटिटी छुपाए बिना अपना काम करता है तो वह अच्छी बात है. राजस्थान में भी और जयपुर में कहीं भी चलें जाएं. कांवड़ियों का बड़ा उत्साह रहता है.
"कांवड़ियों के मार्ग पर साफ-सफाई हो"
बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि कांवड़ मार्ग में खुले हुए नॉनवेज की दुकान से दुर्गंध आती है. वहां पर गंदगी पड़ी रहती है. नॉनवेज को देखकर मन खराब हो जाता है. कांवड़ियों के मार्ग पर साफ-सफाई हो. कांवड़ियों को बाधा नहीं होता है. जब ताजिया निकलता है तो दुकानदार अपने दुकान बंद रखते हैं. उसके लिए सुविधा करते हैं. बहुत सनातनी जलपान की व्यवस्था करते हैं.
बालमुकुंद आचार्य बोले-मैंने खुद ढाबे को देखा, जहां गड़बड़ी थी
विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि गुजरात से आते हुए मैंने खुद एक ऐसे ढाबे को देखा, जहां पर दो गलतियां थी. एक तो वहां पर लिखा था, पवित्र भोजनालय. लेकिन, वहां पर पीछे जाने से पता लगा कि यहां पर गड़बड़ हो रहा है. वहां पर फोटो साईं बाबा की लगा रखी थी. लेकिन, वह व्यक्ति वह साईं बाबा को नहीं मानने वाला व्यक्ति था. गड़बड़ियां होती हैं, तभी इस प्रकार की बात की मांग की जाती है, इसमें कोई बुराई नहीं है. किसी का व्रत खराब ना हो इसके ध्यान रखने की जरूरत है.
उत्तर प्रदेश सरकार को कोर्ट ने जारी किया नोटिस
उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग में दुकानों और रेहड़ी वालों को अपना नाम लिखने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया है. दरअसल, इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. यही नहीं इस मामले में कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है.सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत अब राज्य पुलिस दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. उन्हें केवल खाद्य पदार्थ की जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकान मालिकों, उनके कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी.
प्रशासन दबाव डाल रहा कि नाम डिसप्ले करें
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि ये प्रेस का बयान है या आदेश है. याचिकाकर्ता की ओर से सीयू सिंह ने कहा कि यूपी प्रशासन दुकानदारों पर दबाव डाल रहा है कि वो अपने नाम और मोबाइल नंबर डिसप्ले करें. कोई भी कानून पुलिस को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता. पुलिस के पास केवल यह जांचने का अधिकार है कि किस तरह का खाना परोसा जा रहा है. कर्मचारी या मालिक का नाम अनिवार्य नहीं किया जा सकता.