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भ्रष्टाचार के आरोपी RAS अधिकारी को रिटायरमेंट के बाद मिलेगा प्रमोशन, हाईकोर्ट ने साफ किया रास्ता

राजस्थान हाईकोर्ट में एक चौकने वाला फैसला आया है. जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पूर्व आरएएस अधिकारी भंवरलाल मेहरड़ा अब सेवानिवृत्ति के बाद भी ऊंची पदोन्नति पा सकते हैं.

भ्रष्टाचार के आरोपी RAS अधिकारी को रिटायरमेंट के बाद मिलेगा प्रमोशन, हाईकोर्ट ने साफ किया रास्ता
राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर.

Rajasthan News: राजस्थान में एक चौंकाने वाला फैसला आया है. भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पूर्व आरएएस अधिकारी भंवरलाल मेहरड़ा अब सेवानिवृत्ति के बाद भी ऊंची पदोन्नति पा सकते हैं. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने उनके पक्ष में आदेश दिया है. इससे उन अफसरों को उम्मीद जगी है जो ऐसे मामलों में फंसे हैं।

बंद लिफाफे में छिपा है प्रमोशन का राज

अधिकरण की खंडपीठ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं. अध्यक्ष विकास सीतारामजी भाले और सदस्य पूनम दरगन ने कहा कि 2021-22 की रिक्तियों के लिए हायर सुपर टाइम स्केल में पदोन्नति के नतीजे वाला सीलबंद लिफाफा खोला जाए. अगर मेहरड़ा इसमें योग्य पाए जाते हैं तो उन्हें वही लाभ मिलेगा जो उनके जूनियर अधिकारियों को पहले मिल चुका है.

मतलब उसी तारीख से प्रमोशन लागू होगा. लेकिन यह फैसला शर्तों पर टिका है. एसीबी कोर्ट में चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे का अंतिम फैसला आने तक यह अस्थायी रहेगा. अगर कोर्ट दोषी ठहराती है तो प्रमोशन रद्द हो सकता है.

मेहरड़ा की जिंदगी का सफर और संघर्ष

भंवरलाल मेहरड़ा का करियर 1996 में शुरू हुआ था जब उनका चयन हुआ. फरवरी 2020 में वे राजस्व मंडल अजमेर में सदस्य बने. लेकिन जून 2021 में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी हुई और निलंबन हो गया. दो साल बाद जून 2023 में बहाली हुई लेकिन प्रमोशन नहीं मिला.

इसी बीच वे रिटायर भी हो गए. अपील में उन्होंने दावा किया कि 2008 के कार्मिक विभाग के नियमों के अनुसार निलंबन से बहाल होने पर प्रमोशन का हक बनता है. उन्होंने दो आईएएस अधिकारियों के उदाहरण दिए जिन्हें ऐसे ही मामलों में प्रमोशन मिला.

सरकार का विरोध और अधिकरण का जवाब

राज्य सरकार ने अपील का कड़ा विरोध किया. उनका कहना था कि भ्रष्टाचार का केस खत्म होने तक लिफाफा नहीं खोला जा सकता, लेकिन अधिकरण ने साफ कहा कि अगर कोई विभागीय जांच बाकी नहीं है और अधिकारी बहाल हो चुका है तो प्रमोशन की अनुशंसा देखी जाए. परिणाम घोषित करने में देरी नहीं होनी चाहिए. यह फैसला मेहरड़ा जैसे अधिकारियों के लिए बड़ा राहत देता है जो रिटायरमेंट के बाद भी न्याय की उम्मीद रखते हैं.

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