Sambhar Lake Botulism: राजस्थान के डीडवाना जिले के नावां कस्बे से सटी है विश्व प्रसिद्ध सांभर झील, जो नमक उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है. इस झील में सुदूर सात समुंदर पार करके हजारों परिंदे भी अपना पेट भरने के लिए आते हैं. लेकिन अब यही झील बेजुबान परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षी बोटूलिज्म नामक बीमारी की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा रहे हैं. पिछले 10 दिनों में ही सांभर झील में 500 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है. सांभर झील में पक्षियों की मौत ने एक बार फिर से प्रशासन को सकते में ला दिया है, वहीं पक्षी विशेषकों को भी चिंतित कर दिया है.
बोटुलिज्म या है कोई और कारण
आपको बता दें कि डीडवाना जिले के नावां शहर से सटी सांभर झील में पक्षियों की पिछले कई दिनों से लगातार मौत हो रही है. सांभर झील में जिन पक्षियों के शव मिले है, उनमें नॉर्दन शॉवलर, स्विकल प्रमुख है. ये माइग्रेटी पक्षी है, जो अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप से चलकर नावां - सांभर झील में प्रवास करने के लिए आते है और इनमें फ्लेमिंगो, नॉर्थन शॉवलर सहित अन्य पक्षियों के प्रवास की पसंदीदा जगह सांभर झील और डीडवाना नमक झील है. यहां यह पक्षी बोटूलिज्म की चपेट में आ रहे हैं. लैब से आई जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि बोटुलिज्म नामक बीमारी के कारण ही सांभर झोल क्षेत्र के 500 से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है. हालांकि पक्षी विशेषज्ञ इस जांच से संतुष्ट नहीं है. उनका यह मानना है कि पक्षियों की मौत का अन्य कारण भी हो सकता है. उनका मानना है कि झील क्षेत्र में मृत मवेशियों को डालने और गंदे पानी के नालों से रासायनिक पदार्थों को छोड़े जाने के कारण जीवाणु पनपते हैं, जो पक्षियों की मौत का कारण बन रहे हैं.
10 दिन में 500 पक्षियों की मौत
साल 2019 में भी सांभर झील में प्रवासी पक्षियों में 25000 प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी, जो भारत मे सामूहिक पक्षी मृत्यु दर की पहली घटना थी. वहीं इस बार की बात करें तो पिछले 10 दिनों में ही सांभर झील क्षेत्र में 500 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है. बीती रात को ही सांभर झील से 45 प्रवासी पक्षियों के शव बरामद किए गए हैं. पक्षियों की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है. इसके तहत झील में 10 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. झील क्षेत्र में 10 टीमों के 50 सदस्य बचाव कार्य में लगे हैं. इनमें अजमेर की एसडीआरएफ टीम के 12 सदस्यों के साथ ही पटवारी, सफाई कर्मचारी, पशुपालन व वन विभाग के कर्मचारी शामिल हैं. रेस्क्यू टीम द्वारा झील में जगह-जगह बने टापूओ का निरीक्षण कर वहां से बीमार पक्षियों को उपचार के लिए लाया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अब तक 500 से अधिक पक्षी मृत पाए गए हैं. नावां क्षेत्र के ही मिठड़ी में दो रेस्क्यू सेंटर बनाए गए हैं, जहां एक हजार बीमार पक्षियों को रेस्क्यू कर उपचार दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि जितना जल्दी मृत ओर बीमार पक्षियों को झील से निकाला जाएगा, उतनी जल्दी बोटुलिज्म को फैलने से रोका जा सकता है.
खतरनाक है बोटुलिज्म बीमारी
बोटुलिज्म ऐसी बीमारी है, जिसमें पक्षियों को लकवा मार जाता है. बोटूलिज्म एक गम्भीर न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिज्म नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न विष के कारण होती है. यह बीमारी पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे उनके पंखों ओर पैरों में शिथिल पक्षाघात हो जाता है और गर्दन जमीन को छूने लगती है. एक तरह से पक्षी को लकवा मार जाता है और पक्षी खड़ा होने की स्थिति में नही होता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है. पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षियों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. झील क्षेत्र में मृत मवेशियों को डालने पर रोक लगानी होगी, वहीं गंदे पानी के नालों को भी रोकना होगा. साथ ही जन जागरूकता अभियान चलाकर झील का संरक्षण करना होगा.
रेस्क्यू से मिल रही मदद
सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की लगातार होती मौत के बाद सरकार हरकत में आई और डीडवाना जिला प्रशासन ने तुरन्त रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. इसी क्रम में अजमेर के संभागीय आयुक्त महेश शर्मा, आईजी ओम प्रकाश मेघवाल और डीडवाना जिला कलक्टर पुखराज सैन ने भी सांभर झील का निरीक्षण कर बचाव व राहत कार्यों का जायजा लिया. आयुक्त महेश चंद शर्मा ने पक्षियों के मरने तथा उनके उपचार को लेकर विस्तार से जानकारी ली. इसके साथ ही उन्होंने मीठड़ी में बने रेस्क्यू सेन्टर का अवलोकन भी किया. उन्होंने घायल और बीमार पक्षियों के आंकड़ों के बारे में जानकारी ली. साथ ही अधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए. हालांकि रेस्क्यू अभियान चलने के बाद पक्षियों की मौत में कमी आई है, और बोटुलिज्म को भी फैलने से रोकने में मदद मिली है, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है.
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