Ranthambore National Park: रणथंभौर नेशनल पार्क में विचरण करने वाली विश्व विख्यात एरोहेड़ नामक बाघिन की हालत नाजुक है. T-84 एरोहेड़ नामक इस बाघिन को रणथंभौर की रानी भी कहा जाता है. बाघिन और उसके शावकों का जीवन संकट में नजर आ रहा है. वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही बाघिन व शावको पर भारी पड़ती नजर आ रही है. बीते मार्च माह में ही बाघिन को हो रही गंभीर बीमारी के बारे में वन्य जीव विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मेंद्र खांडल द्वारा विभागीय अधिकारियों को चेताया गया था. लेकिन जिम्मेदार अफसरो ने इसे नजरअंदाज कर दिया.
बाघिन ऐरोहेड ने वन विभाग की चिंताओं को बढ़ा दिया है. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की बाघिन ऐरोहेड बहुत कमजोर हालत में देखी जा रही है. जिससे वन विभाग की चिंताएं बढ़ गई है. फिलहाल वन विभाग की ओर से बाघिन की मॉनिटरिंग की जा रही है.
पिछले कुछ दिनों से बाघिन टी-84 ऐरोहेड की तबीयत अधिक खराब है. जिसके चलते वो बहुत कमजोर दिखाई दे रही है. वन विभाग की टीम बाघिन की लगातार ट्रेकिंग भी कर रही है. रणथम्भौर की वेटरनरी टीम लगातार बाघिन की हेल्थ की मॉनिटरिंग कर रही है.
गौरतलब है कि बाघिन ऐरोहेड जुलाई माह में मां बनी थी. बाघिन 25 जुलाई 2023 को तीन शावकों के साथ दिखाई दी थी. बाघिन की उम्र करीब 9 साल है, और बाघिन अब तक चार बार मां बन चुकी है. बाघिन चार बार में 10 शावकों को जन्म दे चुकी है. फिलहाल बाघिन के शावकों की उम्र पांच माह के आस-पास है.
अब ऐसे में बाघिन के साथ किसी भी तरह की कोई अनहोनी की आशंका से वन विभाग चिंतित है. लेकिन बाघिन को लेकर वन विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नही है.
वर्तमान समय में बाघिन एरोहेड 'रणथंभौर की रानी' के नाम से मशहूर है. बाघिन ने अपना पहला प्रसव फरवरी 2018 में दिया, जिसमें दो शावक थे। लेकिन वे सर्वाइव नहीं कर पाए. दिसम्बर 2018 में, बाघिन ने अपना दूसरे बच्चे को जन्म दिया. जिससे बहुचर्चित बाघिन रिद्धि (T-124) और सिद्धि (T-125)का जन्म हुआ.
बाघिन एरोहेड, बाघिन कृष्णा (T-19) के दूसरे प्रसव की सन्तान है, जिसकी नानी मछली (T-16) थी, जो कि रणथंभौर की माँ के नाम से प्रसिद्ध थी. बाघिन एरोहेड (मछली के राजवंश) से है. इसलिए बाघिन एरोहेड को जूनियर मछली भी कहा जाता है.
#RanthamboreNationalPark: वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही बाघिन व बच्चों पर भारी पड़ती नजर आ रही है. मार्च में ही बाघिन को हो रही गंभीर बीमारी के बारे में वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ धर्मेंद्र खांडल द्वारा विभागीय अधिकारियों को चेताया गया था. लेकिन अफसरो ने इसे नजरअंदाज कर दिया. pic.twitter.com/CCauswuHQw
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) December 22, 2023
रणथंभौर नेशनल पार्क
रणथंभौर नेशनल पार्क 70 से ज्यादा बाघों का घर है. यह साल 1955 में सवाई माधोपुर वन्यजीव अभयारण्य बना फिर सन 1973 में, इस पार्क को प्रोजेक्ट टाईगर घोषित किया गया. उसके बाद साल 1980 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा हासिल हुआ.
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