RTU Kota: कोटा स्थित तकनीकी विश्वविद्यालय राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए नए कोर्स शुरू करने जा रहा है. यूनिवर्सिटी में भारतीय रेलवे के अत्याधुनिक पीजी डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स और प्रशिक्षण के नवीन पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा. इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिए रेलवे के क्षेत्र में प्रशिक्षण व रिसर्च के नवीन अवसर भी प्रदान करेगा. दोनों संस्थानों ने बीटेक कार्यक्रमों में रेलवे सिग्नलिंग और स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली-कवच पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए आपसी सहमति जताई.
इसके तहत विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में 'रेलवे एडवांस सिंग्नलिंग और कवच' पर पाठ्यक्रम उपलब्ध होगा. दोनों संस्थान आपसी सहयोग से 'कवच' प्रणाली में रिसर्च और डेवलपमेंट में भी सहयोग करेंगे. साथ ही कोर्स करने वाले स्टूडेंट इस प्रणाली की जानकारी ले सकेंगे. बता दें कि कवच एक ऑटोमैटिक रेल प्रोटेक्शन की टेक्नोलॉजी है. कवच सिस्टम के चलते कई बार बड़े हादसे टल जाते हैं.
विश्वविद्यालय में 6 महीने से लेकर 2 साल तक होगा कोर्स
आरटीयू के सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके सिंह और भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (इरिसेट) के महानिदेशक शरद श्रीवास्तव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इंजीनियरिंग करने वाला कोई भी स्टूडेंट इसका लाभ ले सकेगा. एमओयू का फायदा कम्प्यूटर साइंस, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स इन आईओटी, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल के स्टूडेंट्स को मिलेगा. यह कोर्स 6 महीने से लेकर 2 साल का होगा.
जोनल रेलवे डिवीजनों में वोकेशनल ट्रेनिंग और साइट विजिट्स का भी होगा आयोजन
दरअसल, इरिसेट अपने अत्याधुनिक क्लासेज और लैब में सिग्नलिंग, दूरसंचार और स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) - कवच पर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग करवाता हैं. हॉस्टल-मेस सुविधा सहित रिसर्च और डेवलपमेंट में सहयोग एमओयू के तहत स्टूडेंट्स को रेलवे सिग्नलिंग और कवच पर ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें हॉस्टल और मेस की फैसिलिटी भी शामिल होंगी. इरिसेट, जोनल रेलवे डिवीजनों में वोकेशनल ट्रेनिंग और साइट विजिट्स का आयोजन करेगा.
इसके अलावा दोनों संस्थान रिसर्च और डेवलपमेंट में एक-दूसरे की मदद करेंगे और अपने महत्वपूर्ण रिसर्च को साझा करेंगे. कुलपति प्रो. सिंह ने बताया की इसके माध्यम से दोनों संस्थान प्रशिक्षण, शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों पर सहयोग का दायरे को बढ़ाएंगे. आज इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने की आवश्यकता है. इसी के चलते विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल से युक्त किया जाना आवश्यक है.
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