Rajasthan News: भारत विभिन्न सभ्यता संस्कृतियों और धार्मिक मान्यताओं के साथ संतों की तपोस्थली के रूप में एक अलग पहचान रखता है. संतों द्वारा यहां अलग-अलग तरीके की तपस्या करते हैं. इन दिनों एक हठ तपस्या टोंक जिले के नटवाड़ा गांव में सरोवर के किनारे संत नवल गिरी महाराज कर रहे हैं. जो 41 दिन की अपनी पंच धुणी तपस्या में लीन है. इस दौरान वह प्रतिदिन दोपहर 12 बजे तेज धूप के बीच अपने पांच दिशाओं में गोबर के कंडों की पांच धुणीयों में अग्नि प्रज्वलित होने के बाद उसके बीच बैठकर तपस्या कर रहे हैं. यह तपस्या 41 दिनों तक दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक डेढ़ घंटे की होगी. इस तपस्या में वह मानव कल्याण सौहार्द और भाईचारे की कामना के साथ करते नजर आते हैं.
गर्मी के इस मौसम में जहां साधारण मानव का 2 मिनट भी धूप में खड़ा होना परेशान कर देता है. वहीं, संत नवल गिरी महराज इसे 41 दिनों तक रोजाना डेढ़ घंटे यह तपस्या करेंगे.
12 साल तक वह प्रतिवर्ष पांच धुणी तपस्या करेंगे
नटवाड़ा गांव में तालाब के किनारे शिव मंदिर प्रांगण में संत नवल गिरी महाराज अपने हठयोग में लीन नजर आते हैं. महाराज बताते हैं की है की शास्त्रों में अलग-अलग तरह के हठ योग है और संत बनना भी एक हठ ही है. वर्तमान में अपने 41 दिन के पंच धुणी हठयोग तपस्या को वह ईश्वरी कृपा के बगैर संभव नहीं मानते है. वह 12:00 बजे से 1:30 बजे के बीच में लगभग 90 मिनट तक पांच दिशाओं में गोबर के कंडों की पांच धुनियों को अग्नि प्रज्वलित करके यह समय गुजारते हुए तपस्या में लीन हो जाते है. महाराज नवल गिरी के अनुसार 12 साल तक वह प्रतिवर्ष पांच धुणी तपस्या को निरंतर करेंगे. आगे क्या होगा यह तो नहीं पता लेकिन हो सकता है तपस्या आगे भी जारी रहे. इस दौरान नटवाड़ा में आसपास के गांव के लोग भी इस तपस्या को देखने और संत का आशीर्वाद प्राप्त करने को जुटने लगे हैं. दोपहर में पंच धुणी तपस्या का समय पूरा होने पर संख बजाकर महाराज को समय बताया जाता है उसके बाद महाराज तपस्या स्थल से उठते है.
41 दिन तक चलने वाले हैं पांच धोनी तपस्या तप यज्ञ का समापन 22 जून को नटवाड़ा गांव में विशाल भंडारे के रूप में होगा. जिसमें नेट वाला सहित आसपास के गांव के लोग संत की इस तपस्या के गवाह बनेंगे. इसे लेकर ग्रामीणों ने पहले ही अपने स्तर पर तैयारी को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है.
क्या होता है पांच धुणी तपस्या
जब कोई संत जब किसी कठोर तपस्या में लीन होता है तो उसे हठ योग कहा जाता है. जो सर्दियों ओर गर्मी में किया जाता है जंहा सर्दी में ठंडे पानी वाली नदियों,झीलों ओर हिमालय की बर्फीली वादियों में संत महात्माओं की तपस्याओं के हठ योग देखे जाते है. जिसमें वह हाड़ कपङे वाली सर्दी में बिना वस्त्रों में तपस्या करते है. वहीं गर्मीयो में संत अपने चारों ओर अग्नि जलाकर तेज गर्मी के बीच खुले आसमान के नीचे तपस्या करते देखे जाते है.
संत नवलगिरी महाराज नाग साधु टोंक जिले के नटवाड़ा गांव में सरोवर किनारे देश और समाज के साथ विश्व कल्याण की भावना के साथ अपना 41 दिवसीय हठ योग तपस्या कर रहे हैं. जिसकी शुरुआत 13 मई को हुई और निरंतर 41 दिन महाराज की प्रतिदिन यह तपस्या यू ही जारी रहेगी. महाराज के अनुसार देश और समाज की सुख सम्रद्धि आपसी भाई चारे ओर अमन शांति के लिए है नवलगिरी महाराज के अनुसार संत बनना भी हठ योग ही होता है. ऐसी कठोर तपस्याएं संत स्वभाव में होती है और पंच धुणी तपस्या उनके स्वभाव का एक हिस्सा है.
यह भी पढ़ेंः राजस्थान में ASI की खुदाई में मिली महाभारत काल की चीजें, सोने के मंदिर भी होने का दावा