
Rajasthan News: राजस्थान में अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा पर संकट मंडरा रहा है. मानसून के मौसम में जहां वन कर्मियों को जंगल की निगरानी के लिए दिन-रात भागदौड़ करनी पड़ रही है, वहीं पिछले छह महीनों से हाई रेजोल्यूशन कैमरे बंद पड़े हैं. इन कैमरों को बाघों की सुरक्षा के लिए पांच साल पहले लगाया गया था, लेकिन अब इनके बंद होने से शिकार का खतरा बढ़ गया है.
जानें क्यों बंद हुए कैमरे
सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (डीओआईटी) की ओर से सरिस्का के जंगल में 16 टावरों पर करीब 80 कैमरे लगाए गए थे. प्रत्येक टावर पर थर्मल, डोम, बुलट, पीटी जेट और बुलट कैमरे लगे थे. लेकिन दिसंबर 2024 में इन कैमरों का रखरखाव करने वाली कंपनी का टेंडर खत्म हो गया. नई टेंडर प्रक्रिया अभी चल रही है, जिसे पूरा होने में एक से डेढ़ महीने और लग सकते हैं.
डीओआईटी के संयुक्त निदेशक दिनेश गुर्जर ने बताया कि टेंडर खत्म होने से पहले भी कैमरों में तकनीकी समस्याएं थीं. जंगल में लगे कैमरों की बैटरी खराब हो गई थी और बैकअप की सुविधा न होने से उन्हें बार-बार चालू करना पड़ता था.
बाघों की संख्या और खतरा
सरिस्का में इस समय 48 बाघ हैं, जिनमें 11 नर बाघ, 18 मादा बाघिन और 19 शावक शामिल हैं. जंगल पूरी तरह खुला है और बीच से अलवर-जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसके अलावा कई अवैध रास्ते भी हैं, जिससे शिकार का खतरा हमेशा बना रहता है. आए दिन शिकार की शिकायतें भी मिलती रहती हैं. कैमरे बंद होने से अब वन कर्मियों को मैन्युअल मॉनिटरिंग पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जो चुनौतीपूर्ण है.
अन्य जंगलों का भी यही हाल
यह समस्या सिर्फ सरिस्का तक सीमित नहीं है. सवाई माधोपुर के रणथंभौर, कोटा के मुकुंदरा, जयपुर के झालाना लेपर्ड और पाली के जवाई बांध जैसे वन्यजीव क्षेत्रों में भी कैमरे बंद पड़े हैं. इससे पूरे राजस्थान में वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.
मॉनिटरिंग में हो रही दिक्कत
सरिस्का के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि डीओआईटी को इस बारे में पत्र लिखा गया था. उन्होंने कहा कि कैमरों के बंद होने से मॉनिटरिंग में दिक्कत आ रही है, लेकिन 24 घंटे वन कर्मियों की टीमें और कैमरा ट्रैप तकनीक से निगरानी की जा रही है. फिर भी, कैमरों की कमी से बाघों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है.
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