
Rajasthan News: देश के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों के ठीक से काम न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है. राजस्थान में 2025 के पहले 8 महीनों में हिरासत में 11 लोगों की मौत की मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. अदालत ने कहा है कि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों का काम न करना मानवाधिकारों के उल्लंघन को बढ़ावा दे रहा है.
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसमें बताया गया था कि साल 2025 में जनवरी से अगस्त के बीच राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि ऐसे मामलों में अक्सर पुलिस सीसीटीवी फुटेज देने से बचती है. इसके पीछे पुलिस की तरफ से कई तरह के कारण बताए जाते हैं, जैसे कि "तकनीकी खराबी", "फुटेज स्टोरेज की कमी", "जांच जारी है" या "कानूनी प्रतिबंध". कई मामलों में तो पुलिस ने फुटेज देने से सीधे इनकार कर दिया या जानबूझकर देरी की.
सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों को लेकर सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने पहले ही पारदर्शिता बनाए रखने और हिरासत में होने वाली ज्यादतियों को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. अदालत ने यह भी साफ किया था कि थाने का कोई भी हिस्सा, जिसमें रिमांड रूम भी शामिल है, कैमरे की निगरानी से बाहर नहीं होना चाहिए. आदेश के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज को डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर या नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर में 18 महीने तक सुरक्षित रखना जरूरी है. हर थाने के एसएचओ को सीसीटीवी फुटेज के रखरखाव और रिकॉर्डिंग की जिम्मेदारी दी गई थी.
'अंतिम मौका' के बाद भी नहीं सुधरे हालात
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में केंद्र और सभी राज्य सरकारों को पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए "आखिरी मौका" दिया था. यह निर्देश तीन महीने के भीतर पूरा करने को कहा गया था. हालांकि, राजस्थान में सामने आए इन मामलों से यह साफ है कि इन निर्देशों का पालन पूरी तरह से नहीं किया गया है. कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन की समीक्षा के लिए बनाई गई केंद्रीय और राज्य स्तरीय कमेटियां भी ठीक से काम नहीं कर रही हैं.
राजस्थान पुलिस पर उठे सवाल
राजस्थान में लगातार हो रही हिरासत में मौतों ने पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इन मामलों में पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न कराना संदेह पैदा करता है. अदालत ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है.
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