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राजस्थान के राज्य पशु चिंकारा के लिए चली विशेष मुहिम, बेजुबान की जान बचाने के लिए हजारों लोगों ने की यह मांग

जैसलमेर बाड़मेर क्षेत्र के वन्य जीवों की बाहुल्यता वाले क्षेत्रों में आवारा श्वान वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं. राज्य पशु चिंकारा बाहुल्य लाठी, धोलिया, चांदन आदि वन क्षेत्रों में आवारा श्वानों का जबरदस्त आतंक होने से वन्य जीव इनके शिकार हो रहे हैं.

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राजस्थान के राज्य पशु चिंकारा के लिए चली विशेष मुहिम, बेजुबान की जान बचाने के लिए हजारों लोगों ने की यह मांग
राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा.

Rajasthan State Animal Chinkara: चिंकारा राजस्थान का राज्य पशु हैं. बिश्नोई समाज के लोग चिंकारा को भगवान की तरह पूजते हैं. अपनी तेज रफ्तार और खूबखूसरती के लिए मशहूर हिरण पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में बहुतायत में हैं. लेकिन बीते कुछ समय से इनका जीवन संकट में है. कई अलग-अलग कारणों से चिंकारा की संख्या लगातार घटती जा रही है. ऐसे में अब इस बेजुबान की जान बचाने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया पर एक विशेष मुहिम छेड़ी. श्वानों के शिकार हो रहे राज्य पशु चिंकारा को लेकर वन्य जीव प्रेमियों और ग्रामीणों में आक्रोश है. लोगों ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर मुहिम चलाते हुए उनकी सुरक्षा की मांग उठाई. 

जैसलमेर बाड़मेर क्षेत्र के वन्य जीवों की बाहुल्यता वाले क्षेत्रों में आवारा श्वान वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं. जैसलमेर में कई ऐसे क्षेत्र है जहां वन्यजीव विचरण करते हैं. विशेषकर राज्य पशु चिंकारा बाहुल्य लाठी, धोलिया, चांदन आदि वन क्षेत्रों में आवारा श्वानों का जबरदस्त आतंक होने से वन्य जीव इनके शिकार हो रहे हैं. खासकर आवारा श्वान घात लगाकर चिंकारा हिरणों का शिकार करते हैं.इससे वन्य जीव प्रेमियों व ग्रामीणों में आक्रोश है.

वन विभाग को कई बार लिखित में दी सूचना, नहीं हुई कोई कार्रवाई 

ग्रामीणों ने वन विभाग और जिला प्रशासन को आवारा श्वान के आतंक से राज्य पशु चिंकारा को संरक्षित करने के उपाय करने के लिए कई बार लिखित में दिया, मगर ना तो वन विभाग, ना ही जिला प्रशासन इस और ध्यान दे रहे हैं. वन विभाग की लापरवाही से क्षेत्र में प्रतिदिन चिंकारा का शिकार किया जा रहा है.कुछ लोगो का तो मानना है कि  हर 10 में से 7 हिरण श्वानों के हमलों का शिकार हो रहे हैं. कुछ घायल हो जाते है और कुछ काल का ग्रास बन जाते है. यदि यह सिलसिला जारी रहा तो आगामी समय में वन्यजीव क्षेत्र से चिंकारा सहित कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी.

जैसलमेर में चिंकारा का विचरण.

जैसलमेर में चिंकारा का विचरण.

कुत्ते और तारबंदी हिरणों के लिए घातक

इस समस्या का मुख्य कारण स्थानों की बढ़ती संख्या है व वन्यजीव क्षेत्र में आवारा शवानो की संख्या में भारी वृद्धि बनी हुई है.किसानों द्वारा की गई तारबंदी भी हिरणों के लिए घातक बन गई है. कई बार हिरण इन तारों में फंस जाते हैं और आसानी से श्वानो का शिकार हो जाता है. इस समस्या का समाधान श्वानों की संख्या को नियंत्रित करने में निहित है.वन विभाग को आवारा श्वानों को पकड़ने और उन्हें दूसरे स्थलों में भेजने का अभियान चलाना चाहिए. श्वानों का बधियाकरण करना भी आवश्यक है.

कुत्तों से हिरण बचाओ अभियान चलाया

पिछले लम्बे समय से आवारा श्वान चिकारों पर हमला कर मौत के घाट उतार रहे है और लगातार हो रही घटनाओं को लेकर वन्यजीव प्रेमियों में भारी रोष व्याप्त है.जैसलमेर सहित राजस्थान के युवाओं द्वारा सोसल मीडिया पर अपने गुस्से और नाराजगी को मुहीम में बदल डाला है.वही युवाओं द्वारा X पर पूरे भारत मे"कुत्तों से हिरण बचाओ" ट्विटर अभियान चलाया गया है, स्कूल का राजस्थान के युवाओं ने जमकर एक्स पर पोस्ट की है.


वाइल्डलाइफ लवर राधेश्याम बताते हैं कि वन क्षेत्रों के अलावा आबादी विहीन क्षेत्रों में चिंकारा बड़ी तादाद में हैं. इसी स्थानों पर आवारा श्वानों का बड़ा आतंक है. आवारा श्वान आए दिन चिंकारा सहित वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं. हमने वन विभाग और जिला प्रशासन को कई बार अवगत कराया, मगर समाधान नहीं निकला. तब जाकर हमने वन्य जीव प्रेमी मिलकर सोशल मीडिया पर चिंकारा के संरक्षण के लिए सामूहिक अभियान चलाया.

पिछले कुछ सालों में हिरणों की संख्या में आई गिरावट

वन्य जीव प्रेमी श्रवण पटेल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में हिरण की जो संख्या है वो आवारा जंगली शवानो की वजह से काफी कम हुई है.जिसको लेकर के हमने कई बार शिकायतें भी की है, लेकिन उसे पर कोई पुख्ता कार्रवाई अब तक अमल में नहीं लाई गई.जिसकेबाद कल 5 में रविवार को हमने हमारी टीम के साथ मिलकर एक्स सोशल प्लेटफार्म पर "हैशटैग कुत्तो से हिरण बचाओ" के नाम से एक मुहीम छेड़ी जिसमे अब तक 55 हजार से अधिक लोग पोस्ट कर चुके है.वही रविवार शाम यह हेष्टैग एक्स पर ट्रेंडिंग में नम्बर एक पर बना रहा.

वन संरक्षक बोले- पत्राचार कर रहे हैं

उप वन संरक्षक आशुतोष ओझा ने इस मामला में लोकल बॉडी व स्थानीय लोगों पर बात डालते हुए मिलकर काम करने की बात कही.उन्होंने कहा कि बिल्कुल आपने सही प्रश्न उठाया है, अभी वर्तमान समय में ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई है, जिसमें आवारा कुत्तों द्वारा हिरणों शिकार किया जा रहा है. उन्हें आवारा कुत्ते नहीं बल्कि जंगली कुत्ते कहूंगा, क्योंकि उनका जो व्यवहार है वह काफी आक्रामक हो गया है. इसका कारण यह भी है कि आस-पास की ढाणिया में खाने की सामग्री खुले में फेंकने से इनकी तादात बढ़ रही है. जंगली कुत्तों की आबादी को कंट्रोल में करने का दायित्व लोकल बॉडीज का है. हम भी पत्राचार कर रहे है.

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