Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाइयों पर सवाल उठाने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हुई बुलडोजर कार्रवाई के मामलों के बाद एक याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा उठाया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर इसी महीने निर्देश जारी किए थे, लेकिन इनके बाद भी आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने से अदालत की अवमानना हुई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि याचिका बिना ठोस सबूतों के दायर की गई है, और मीडिया रिपोर्टों पर निर्भर रहकर बिना ठोस प्रमाण के ऐसी याचिका को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.
गुरुवार (24 अक्तूबर) को सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पेश की गई. इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन कर अवैध विध्वंस का आरोप लगाया गया था. याचिका नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन ने दायर की थी. सुनवाई में उत्तर प्रदेश की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज और राजस्थान की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने दलीलें रखीं.
कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता संगठन विध्वंस से व्यक्तिगत रूप से कैसे प्रभावित हुआ? कोर्ट ने यह भी नोट किया कि याचिका मुख्य रूप से समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर आधारित थी, और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया था.
करणी विहार मंदिर में हुई थी चाकूबाजी
सुनवाई के दौरान राजस्थान का मामला 17 अक्टूबर को जयपुर के करणी विहार मंदिर में चाकूबाजी की घटना से जुड़ा था. शरद पूर्णिमा कार्यक्रम के दौरान नसीब चौधरी नाम के एक हमलावर और उसके बेटे ने मंदिर में भक्तों पर हमला कर दिया जिनमें 10 लोग घायल हो गए. ये सभी आरएसएस कार्यकर्ता थे. हमले के दो दिन बाद 20 अक्तूबर को चाकू घोंपने के आरोपी के घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर कार्रवाई पर आदेश
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई को चुनौते देते हुए याचिका डाली गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने 1 अक्टूबर को बुलडोजर कार्रवाई के बारे में आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना देशभर में कोई विध्वंस नहीं होना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि यह प्रतिबंध ऐसे अवैध संरचनाओं पर लागू नहीं होगा, जो सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़कें, गलियां, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकायों के निकट स्थित हैं. साथ ही अदालत के आदेश के बाद जारी की गई कार्रवाइयां इस निर्देश से बाहर थे.
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