
राजस्थान में करीब 40 साल पहले हुए नाबालिग लड़की के साथ रेप से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोषी को निचली अदालत द्वारा दी गई सात साल की सजा को बहाल कर दिया. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को चार हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बच्ची की चुप्पी का मतलब ये नहीं लगाया जा सकता कि उसके साथ अपराध हुआ ही नहीं.
निचली अदालत का फैसला बहाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने फैसले में कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि इस नाबालिग लड़की और उसके परिवार को अपने जीवन के इस भयावह अध्याय को बंद करने के इंतजार में लगभग चार दशक गुजारने पड़ रहे है. बच्ची की तुलना किसी बालिग पीड़िता से नहीं की जा सकती है.
अब शीर्ष अदालत ने निचली अदालत द्वारा दोषी को दिए गए सात की सजा को बहाल कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने 40 साल पहले हुए रेप केस में अहम फैसला सुनाते हुए दोषी को चार हफ्ते में सरेंडर करना का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने 2013 में आरोपी को किया था बरी
दरअसल, नाबालिग लड़की के साथ रेप की घटना करीब 40 साल पहले यानी 03 मार्च 1986 को को हुई थी. लड़की को गुलाब चंद नामक एक व्यक्ति ने बेहोश पाया और उसके प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था. नाबालिग के साथ कथित तौर पर रेप किया गया था. इसके बाद उसने 4 मार्च, 1986 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
मामले में सुनवाई के बाद निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, 2013 में राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में आरोपी को बरी कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां पर लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार अब फैसला आया है.
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