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This Article is From Sep 26, 2023

बूंदी का तलवास क्षेत्र ईको टूरिज्म के रूप में होगा विकसित, फ्रांस सरकार करेगी मदद

​​Bundi Tourism Place: राजस्थान के बूंदी जिले के पर्यटक स्थलों को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा. यह काम फ्रांस सरकार की मदद से होगा. इसके लिए प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बूंदी के पर्यटक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण भी किया है.

बूंदी का तलवास क्षेत्र ईको टूरिज्म के रूप में होगा विकसित, फ्रांस सरकार करेगी मदद
बूंदी के तलवास इलाके में स्थित झरना, जिसे ईको टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित.

​​Bundi Tourism Place: पर्यटन के लिहाज से राजस्थान की भूमिका भारत में बहुत अहम है. यहां कई ऐसे टूरिज्म स्पॉट हैं, जहां घुमने के लिए सालोंभर लोग देश-विदेश से आते रहते हैं. राजस्थान सरकार भी पर्यटन उद्योग को हमेशा बेहतर करने की कोशिश लगी रहती है. अब इसी कड़ी में बूंदी जिले के पर्यटक स्थलों को विकसित करने का काम शुरू होने जा रहा है. बूंदी जिले में आधा दर्जन से अधिक ऐसे पर्यटन क्षेत्र है, जहां शानदार खूबसूरत झरने गिरते है. ऐसा ही एक झरना तलवास के धुंधलेश्वर महादेव का है. जहां बड़ी पहाड़ी से खूबसूरत झरना गिरता है. इस झरने को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. तलवास क्षेत्र बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य का हिस्सा है. इस क्षेत्र में रामगढ़ महल भी है. चारों ओर हरियाली से गिरे पहाड़ों खूबसूरत झरने और महलों को इको टूरिज्म से जोड़ने के लिए वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए फ्रांस सरकार की एएफडी प्रोजेक्ट के तहत एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत फ्रांस सरकार फंड मुहैया करवाएगी.

बूंदी का कश्मीर कहा जाता है तलवास क्षेत्र

मिली जानकारी के अनुसार इस फंड में राजस्थान के 13 जिले शामिल है, जिसमें बूंदी जिले का तलवास क्षेत्र भी शामिल है. प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने तलवास क्षेत्र का दौरा किया और इको टूरिज्म को लेकर संभावनाएं तलाशी. तलवास का चयन करने के पीछे मुख्य कारण यह भी है कि रणथंभौर से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में जाने के लिए बाघों का यह सबसे सुरक्षित कॉरिडोर है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां काफी संभावनाएं हैं. इसे बूंदी का कश्मीर भी कहा जाता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है. बेहतरीन प्राकृतिक स्थलों से लबरेज तलवास के चारों ओर घना जंगल फैला हुआ है, जिसमें साथ-साथ शाकाहारी वन्यजीवों की भी भरमार है.

अधिकारियों ने इन पांच स्थलों का किया चयन 

बूंदी रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के डीसीएफ संजीव शर्मा ने बताया कि जिला का प्राकृतिक रूप से तलवास क्षेत्र काफी सुंदर है. रणथंभौर से निकलने वाले बाघ तलवास होकर ही रामगढ़ में प्रवेश करते हैं. इसको डेवलप करने का वन्यजीव विभाग ने प्लान तैयार किया है. कुछ दिन पहले यहां प्रस्तावित कार्यों के लिए उच्च अधिकारियों ने जायजा भी लिया. हमने अजीतगढ़ किला, धुँधलेश्वर महादेव परिसर, झरना, रत्न सागर झील सहित पांच इलाकों को चिन्हित किया है, जिन्हें इको टूरिज्म के हिसाब से विकसित किया जाएगा.

बूंदी में पहाड़ों के बीच स्थित कुंड में स्नान करते स्थानीय लोग और सैलानी.

बूंदी में पहाड़ों के बीच स्थित कुंड में स्नान करते स्थानीय लोग और सैलानी.

पहाड़ों के बीच रत्न सागर झील का नजारा बेहद मनोरम
तलवास गांव में पहाड़ों के बीच रत्न सागर झील स्थित है, जिसमें 12 माह तक पानी भरा रहता है. गांव के एंट्रेंस में झील बड़ी खूबसूरत नजर आती है. झील के चारों ओर विशाल दीवार बनाकर घाट बनाए जाएंगे, रास्ते बनाए जाएंगे. झील में साफ सफाई करवा कर यहां वोटिंग चालू करवाई जाएगी. हमारी प्लानिंग है कि दो बोट इस झील में चले ताकि रामगढ़ विषधारी क्षेत्र में बाघों को देखने वाले पर्यटक झील में वोटिंग का भी आनंद ले सके.

रास्ता नहीं होने के कारण पर्यटकों को आने में होती है दिक्कत

डीसीएफ शर्मा ने बताया कि तलवास क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण विरासत में अजीतगढ़ का किला है. रास्ता सही नहीं होने के चलते यहां पर आम आदमी, पर्यटक नहीं पहुंच पाते. इस प्रोजेक्ट के तहत हमने सबसे पहले दुर्गम रास्ते को सुगम बनाने के लिए प्लान तैयार किया है जिसके तहत आने जाने का रास्ता बनाया जाएगा. इसी क्षेत्र से लक्ष्मीनाथ मंदिर के ऊपर स्थित राजमहल के पास 100 हेक्टर भूमि पर ग्रास लैंड भी तैयार करवाया जाएगा। यह सभी कार्य एक वर्ष में पूरे हो जाएंगे.

बूंदी जिले से 50 किलोमीटर दूर है तलवास क्षेत्र

पूर्व वन्य जीव प्रतिपालक विट्ठल कुमार ने बताया कि रामगढ़ अभ्यारण का सबसे महत्वपूर्ण इलाका तलवास क्षेत्र माना जाता है. यहां से ही सेंचुरी की शुरुआत होती है. बाघ-बाघिन सहित विभिन्न प्रकार के जानवरों का मूवमेंट इस क्षेत्र में रहता है. यह क्षेत्र बूंदी जिले से 50 किलोमीटर दूर है. यह जैतपुर चौराहे से तलवास की तरफ एक रास्ता निकलता है जो धुंधलेश्वर महादेव पहुंचता है. धुंधलेश्वर महादेव पहाड़ियों के बीच स्थित है महादेव के स्थान पर 12 महीने जल अभिषेक चलता है.

सालों भर चालू रहे कुंड इसलिए लगाए जाएंगे बोरिंग

इसी परिसर के पास से पहाड़ियों से विशाल झरना गिरता है, जिसमें श्रद्धालु पर्यटक पानी का आनंद लेते हैं. जो काफी आकर्षित करता है. इसके नीचे 5 कुंड बने हुए हैं. इस झरने को 12 माह चलाने का प्लान तैयार किया गया है, ताकि पर्यटकों का आकर्षण बना रहे. साथ ही सभी कुंड भी भरे रहें, क्योंकि यहां का पानी आगे पहाड़ी नालों में जाता है, जिससे वन्यजीव अपनी प्यास बुझा सकेंगे. इसके लिए मंदिर के समीप लगे बोरिंग को सोलर पंप से चलाकर झरने को 12 माह चलाया जाएगा. 

कम्युनिटी हॉल, विशाल दरवाजे सहित अन्य चीजों का होगा निर्माण

पहाड़ी के ऊपर बोरिंग करवाए जाएंगे ताकि आकर्षक झरना चलता रहे. झरना बंद होने से यहां आने वाले पर्यटक मायूस ना हो. वहीं महादेव मंदिर परिसर में कम्युनिटी हॉल, मूलभूत सुविधाएं व विशाल दरवाजे का निर्माण करवाया जाएगा. ईको टूरिज़्म का विकास होने पर इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा संसाधन बढ़ेंगे। विकसित होने से पर्यटक भी संख्या अधिक बढ़ेगी.

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