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Teja Dashami 2025: कौन थे वीर तेजाजी? जिन्होंने गौ माता के लिए सांप से डसवाना भी किया मंजूर

Rajasthan News: 2 सितंबर को तेजा दशमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मना रहा है. वीर तेजाजी महाराज की तप, त्याग और भक्ति को समर्पित यह पर्व राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ग्रामीण इलाकों में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

Teja Dashami 2025: कौन थे वीर तेजाजी? जिन्होंने गौ माता के लिए सांप से डसवाना भी किया मंजूर
Teja Dashami 2025

Teja Dashami 2025 date: राजस्थान, जो अपनी वीरभूमि और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, आज 2 सितंबर को तेजा दशमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मना रहा है. वीर तेजाजी महाराज की तप, त्याग और भक्ति को समर्पित यह पर्व राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ग्रामीण इलाकों में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

नागौर में लगा भव्य मेला

तेजा दशमी के अवसर पर नागौर जिले में वीर तेजाजी महाराज का भव्य मेला लगता है. इस मेले में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिनकी आस्था का सैलाब देखते ही बनता है.

कौन थे वीर तेजाजी?

वीर तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के खरनालियां गांव में एक नागवंशी क्षत्रिय जाट परिवार में हुआ था. उनके पिता ताहड़ देव और माता रामकंवरी थीं. ऐसा माना जाता है कि माता रामकंवरी को भगवान शिव और नाग-देवता के आशीर्वाद से तेजाजी की प्राप्ति हुई थी. बचपन से ही उनका चेहरा तेज से दमकता था, इसीलिए उनका नाम तेजा रखा गया.

गौ-रक्षा केे लिए दिया अद्भुत बलिदान

तेजाजी ने अपने जीवन में गौ-रक्षा और नारी सम्मान के लिए कई बलिदान दिए. एक बार जब वे लाछा गुर्जरी की गायों को बचाने जा रहे थे, तब उन्होंने एक जलते हुए सांप को बचाया. सांप ने जोड़े से बिछुड़ने के कारण क्रोधित होकर उन्हें डसना चाहा, लेकिन तेजाजी ने उसे वचन दिया कि गायों को बचाने के बाद वे लौटकर आएंगे, तब वह उन्हें डस ले.

सांप को काटने के लिए खुद को दिया था सौंप

डाकुओं से युद्ध में बुरी तरह घायल होने के बाद भी तेजाजी अपना वचन पूरा करने के लिए सांप के पास पहुंचे. उनका पूरा शरीर जख्मों से भरा था, केवल जीभ ही सलामत थी. सांप ने उन्हें यह कहकर डसने से मना कर दिया कि उसके पास डसने की जगह नहीं बची है, लेकिन तेजाजी ने अपना वचन पूरा करने के लिए अपनी जीभ बाहर निकाली. इस पर सांप ने उनकी जीभ पर डसा. उनके इस बलिदान से प्रसन्न होकर सांप ने उन्हें वरदान दिया कि वे सर्पों के देवता कहलाएंगे और उनके थानक पर आने वाले हर सांप के डसे हुए व्यक्ति का जहर उतर जाएगा.

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