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This Article is From Jan 20, 2024

RGHS कैंसर ड्रग स्कैम केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने पुलिस को दिया ये आदेश

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीपति दिनेश मेहता द्वारा आपराधिक एकल पीठ याचिका की सुनवाई करते हुए RGHS कैंसर ड्रग स्कैम से जुड़े प्रकरण में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के आदेश दिये है.

RGHS कैंसर ड्रग स्कैम केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने पुलिस को दिया ये आदेश
राजस्थान हाई कोर्ट.
जोधपुर:

RGHS Cancer Drug Scam: सरकारी कर्मचारियों के नि:शुल्क इलाज के लिए लागू राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (State Government Health Scheme- RGHS) की आड़ में मेडिकल स्टोर व मध्यस्थों ने करोड़ों रुपए की दवाइयों का बिल उठाकर गबन (RGHS Scam) कर लिया है. इस योजना के तहत कई बार धोखाधड़ी के मामले सामने आए है.
हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने RGHS कैंसर ड्रग स्कैम में जांच के आदेश दिए हैं.

आपको बता दें कि जोधपुर परिवादी विजेन्द्र दवे के अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे ने बताया कि परिवादी की माता मंजुरानी दवे सेवानिवृत है, और वह अग्नाश्य कैंसर से पीड़ित है. जिनका इलाज मेंदाता अस्पताल गुडगांव में शुरू हुआ था. जिन्हें बाद में जोधपुर रेफर करने के बाद डॉ. व्यास से ईलाज लेना प्रारम्भ किया गया. तब से वे झंवर मेडिकल जालोरी गेट, जोधपुर से दवाईयां लेती थी. जिनके तकरीबन हर माह 50,000/- रुपए की दवाईयां आती थी.

दुकानदार जुगल झंवर, तुषार झंवर व अन्य द्वारा परिवादी की माताजी को भरोसे एवं विश्वास में लेकर हर माह दवाईयां घर पर पहुचाने का लालच देकर, उनके मोबाईल से ओ.टी.पी. लेकर दवाईयां घर पर भिजवाना शुरू किया. पीड़िता जो कि वृद्ध कैंसर से पीड़ित है. वो दुकानदार को सेवा भावी समझकर ओ.टी.पी. देती गई, बाद में समाचार पत्र से जानकारी हुई कि जुगल झंवर व अन्य पर दवाई घोटाले का आरोप लगा है. उन्होनें उनके नाम से भी कार्ड का दुरूपयोग कर अवैध राशि निकली है.

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तब उनके द्वारा थाना महामंदिर में न्यायालय के मार्फत उनके साथ धोखाधडी कर कूटरिचत प्रिस्क्रप्सन, बिल, स्लीप आदि तैयार करने व उनके नाम का दुरूपयोग कर राशि लेने की FIR संख्या 0551/2023 दर्ज करवायी गयी.

जिसमें पुलिस के अभियुक्तगण को न ही गिरफ्तार किया गया. न ही उनके द्वारा सम्पूर्ण कूटरचित दस्तावेज, प्रिस्क्रप्सन स्लिप, दवाईयों के बिल व धोखाधडी पूर्वक हड़पी गई राशि बरामद की गई. पुलिस द्वारा इस मामले में कार्यवाई नहीं करने के व्यवहार के कारण परिवादी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

बाद में परिवादी द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण लेकर एकलपीठ आपराधिक विविध याचिका प्रस्तुत की गई. जिसे राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर पुलिस अधीक्षक जोधपुर के समक्ष अभ्यावेदन मय दस्तावेज दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए पुलिस को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी अनुसंधान करने के आदेश पारित किये है. 

इसे भी पढ़े: RGHS Cancer Drug Scam: दवाओं के नाम पर करोड़ों के घोटाला 

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