
Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने दो बच्चों से अधिक होने पर सरकारी नौकरी नहीं देने का फैसला किया था. लेकिन इस नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. लेकिन राजस्थान सरकार के दो बच्चों के नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार करना, इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं है. क्योंकि इसके पीछे का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है, ऐसे में यह गैर-भेदभावपूर्ण है.
बता दें, राजस्थान में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर यह नियम पॉलिसी के दायरे में आता है तो इसमें किसी तरह की दखल देने की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने 20 फरवरी 2024 को इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. इस पीठ ने 12 अक्टूबर 2022 के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की याचिका को खारिज कर दिया.
जानें पूरा मामला
दरअसल, 31 जनवरी, 2017 को रक्षा सेवाओं से सेवानिवृत्ति के बाद रामजी लाल जाट ने 25 मई 2018 को राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) में कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन किया था. लेकिन उसकी उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत खारिज कर दिया गया. इसे इस आधार पर खारिज किया गया कि 1 जून 2002 के बाद रामजी लाल जाट के दो से अधिक बच्चे थे. ऐसे में रामजी लाल जाट राजस्थान में सरकारी रोजगार के लिए अयोग्य है.
क्या है राजस्थान सरकार का नियम
ऐसे में अदालत ने कहा कि यह निर्विवाद है कि अपीलकर्ता ने राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था और ऐसी भर्ती राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 द्वारा शासित होती है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि कुछ इसी तरह का प्रावधान, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पात्रता शर्त के रूप में पेश किया गए थे. जिसे पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. कोर्ट ने तब माना था कि वर्गीकरण, जो दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करता है. गैर-भेदभावपूर्ण और संविधान के दायरे से बाहर है. क्योंकि प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है.
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