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This Article is From Jan 19, 2024

राम जन्मभूमि आंदोलन में जोधपुर की रही है अहम भूमिका, तस्वीरें और दस्तावेज आज भी सुरक्षित

22 जनवरी को पूरे देशभर के राम भक्तों का 500 साल पुराना सपना अपना मूर्त रूप लेने ने जा रहा है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. अब आने वाली 22 जनवरी को राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. जिसे लेकर पूरे देश में उत्साह और उमंग की एक नई लहर है.

राम जन्मभूमि आंदोलन में जोधपुर की रही है अहम भूमिका, तस्वीरें और दस्तावेज आज भी सुरक्षित
मीडिया से बात करते राम भक्त.
जोधपुर:

Ram Mandir Pran Pratishta: राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर भव्य रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक जोधपुर का अकल्पनीय योगदान रहा है. जोधपुर के विश्व हिंदू परिषद कार्यालय में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की गई थी. अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ दिन शेष बचे है तो पूरे देश से राममंदिर आंदोलन की कहानियां सामने आ रही है. इसी कड़ी में राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाले जोधपुर की कहानी सामने आई है. जोधपुर का योगदान राम जन्मभूमि आंदोलन की रूपरेखा से शुरू होकर वर्तमान में हो रही प्राण प्रतिष्ठा तक अकल्पनीय रहा है.

जोधपुर के विश्व हिंदू परिषद कार्यालय में भी राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर कहीं महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जा चुकी है. यहां विश्व हिंदू परिषद में प्रवीण तोगड़िया से लेकर प्रमोद सिंघल और कई धर्म प्रेमियों ने जोधपुर में धर्म सभा से पूर्व आवश्यक बैठके व आंदोलन की रणनीति को लेकर चर्चाएं कर चुके हैं.

आज भी वर्ष 1990 व 1992 में कार सेवकों की शहादत व उनके संघर्ष से पूर्व जोधपुर में आयोजित की जाने वाली आंदोलन की रूपरेखा को लेकर बैठकों के छायाचित्रों व जोधपुर से अयोध्या गए कारसेवकों की प्रखंड वाइज सूची भी आज भी संरक्षित कर रखा है.

विश्व हिंदू परिषद के जोधपुर प्रांत के पदाधिकारी पंडित राजेश दवे ने बताया कि भगवान राम और जोधपुर का एक विशेष नाता रहा है. जब हिंदू समाज यह बड़ा आंदोलन कर रहा था. तब संघ की यहां बड़ी बैठक आयोजित हुई थी. उस समय सभी संतो और महंतों ने संघ से निवेदन किया कि संघ इस आंदोलन को अपने हाथों में ले और उसे समय संघ ने भी यह कहा विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में यह आंदोलन प्रारंभ होगा और यही से इस आंदोलन की शुरुआत हुई है.

राम जन्मभूमि के आंदोलन को लेकर देशभर के राम भक्तों में एक अलग ही जोश था. चारों ओर 'बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि के काम' का और 'रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे' के नारों की जूंग थी.

कारसेवक रहे जोधपुर के कानराज मोहनोत ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया की सबसे पहले वर्ष 1988 में हमने जोधपुर में एक ईंट व एक पत्थर को एकत्रित करने की शुरुआत की थी. इन सभी ईंट को हमने जोधपुर के गीता भवन में रखवाया था. 

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