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हाथ-पैर बंधे हुए, मुंह पर टेप; जयपुर में 12 साल के बच्चे की किडनैंपिग केस में अब बहन भी शक के घेरे में

जयपुर में 12 साल के बच्चे की किडनैंपिग केस में अब नया मोड़ आया है. मामले में अभी तक हुई पुलिस जांच के बाद अब अगवा हुए बच्चे की बहन भी शक के घेरे में है.

हाथ-पैर बंधे हुए, मुंह पर टेप; जयपुर में 12 साल के बच्चे की किडनैंपिग केस में अब बहन भी शक के घेरे में
अपहरण हुआ बच्चा कुछ इस तरह मिला था, गिरफ्तार आरोपी.

Jaipur Child Kidnapping Case: जयपुर में मंगलवार को हुए 12 साल के बच्चे दिलखुश के अपहरण मामले में पुलिस अब नए एंगल से जांच कर रही है. बच्चे के अपहरण में बहन की भूमिका की जांच की जा रही है. दरअसल, बच्चे को जिस कमरे से बरामद किया गया था, वह बहन ने किराए पर ले रखा था. यहीं रह कर वह पोस्ट ऑफिस में काम करती थी. इसकी दूसरी चाभी उसके दोस्त अपहरणकर्ता सचिन के पास थी. इतना ही नहीं बल्कि बच्चे की रोजाना की गतिविधि की जानकारी भी बहन सचिन को देती थी. इसलिए शक की सुई बहन की ओर घूम रही है. 

आरोपी सचिन बच्चे के परिवार का विश्वासी

आरोपी सचिन परिवार का विश्वासपात्र था. बच्चे की बहन और आरोपी सचिन बांसखो के एक कमरे में साथ रहते थे. कमरे की चाभी दोनों के पास थी. रक्षा बंधन पर बहन दिलखुश को राखी बांधने आई थी. कमरा खाली था. सचिन को इसकी जानकारी थी. 

बच्चे को अगवा करने के बाद बहन से परिवार और पुलिस की ले रहा था जानकारी

तभी उसने अपहरण के बाद दिलखुश को वहां ले जाना ठीक समझा. इतना ही नहीं बल्कि अपहरण के बाद भी वह बहन के जरिए परिवार और पुलिस की गतिविधि की जानकारी ले रहा था. इस दौरान बहन काफी सक्रिय थी. सड़क जाम करने में वह सबसे आगे थी. इसलिए पुलिस अब उसकी भूमिका की जांच कर रही है. 

मंगलवार शाम बच्चे का हुआ अपहरण, 9 घंटे बाद हुई थी बरामदगी

मालूम हो कि जयपुर से मंगलवार शाम 12 वर्षीय बच्चे को अगवा किए जाने की खबर सामने आई थी. मामले की जानकारी मिलते ही एक्टिव हुई पुलिस ने 9 घंटे बाद बच्चे को एक घर से बरामद किया था. जहां बच्चे का हाथ-पैर बंधा हुआ था. मुंह पर टेप सटा था. अब यह बात सामने आई कि यह कमरा अगवा हुए बच्चे की बहन ने एक साथी के साथ किराए पर ले रखा था.

फिरौती में मिले पैसे से कर्ज चुकाना चाहता था आरोपी 

सांगानेर सदर की थानाक्धिकारी पूनम चौधरी बताती हैं कि सचिन बच्चे के घरवालों को अच्छे से जानता था. बच्चा भी उससे परिचित था. उसे पता था कि 7 बहनों में 4 बहने कामकाजी हैं. इसलिए इस घर में पैसे लिए जा सकते हैं. इसलिए उनसे अपहरण को अंजाम दिया. उसने सोचा था कि अपहरण के पैसे से कर्ज चुका देगा, साथ ही बचे पैसों से कुछ व्यापार शुरू कर देगा.

पिता ने पुलिस की थ्योरी का किया खंडन

हालांकि बच्चे के पिता श्रीराम इससे इंकार करते हैं. वे कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है. वह ऐसा नहीं कर सकती है. लड़के ने विश्वास में लेकर मेरी बेटी को धोखा दिया और बेटे का अपहरण किया. हालांकि पिता की कई बातों में विरोधाभास भी नजर आता है.

बच्चे के पिता ने आरोपी को कर्ज पर दिए थे पैसे

पुलिस का कहना है कि आरोपी सचिन श्रीराम के घर अक्सर आता जाता था. और श्रीराम ने उसे अलग अलग मौके पर कर्ज भी दिए थे. यह राशि करीब 1 लाख रुपए थी. श्रीराम हमसे बातचीत में लड़के से पुराने परिचय से इनकार करते हैं. इससे कई सवाल खड़े होते हैं.

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