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25 साल से काम कर रहे कर्मी को विवि ने जबरन दे दिया था 1 महीने का ब्रेक, राजस्थान हाई कोर्ट ने लगाई रोक

राजस्थान हाई कोर्ट ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के एक तुगलकी फैसले पर आज रोक लगाई. विवि प्रशासन ने 25 साल से काम कर रहे एक कर्मचारी को जबरन एक महीने से नौकरी से निकालने का आदेश दे दिया था.

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25 साल से काम कर रहे कर्मी को विवि ने जबरन दे दिया था 1 महीने का ब्रेक, राजस्थान हाई कोर्ट ने लगाई रोक
राजस्थान हाई कोर्ट.

25 साल के काम कर रहे एक अस्थायी कर्मचारी को जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर ने जबरन एक महीने का ब्रेक दे दिया था. यह ब्रेक राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर दिया गया था. मामले में पीड़ित कर्मी ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां से उसे न्याय मिला है. दरअसल राजस्थान हाईकोर्ट ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में अस्थायी कर्मचारी मुकेश गहलोत को जबरन दिए जा रहे एक महीने के ब्रेक पर रोक लगा दी है. 

मुकेश गहलोत को विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 30-11-2023 को दिए गए लिखित आदेश में उसे दिसम्बर, 2023 में जबरन 1 महीने के लिए नौकरी से निकाले जाने के आदेश पर राजस्थान हाईकोर्ट ने  रोक लगाई है.

प्रार्थी मुकेश गहलोत पुत्र शंकर लाल गहलोत निवासी नयापुरा, लाल सागर, पोस्ट बीएसएफ मण्डोर, जोधपुर ने अपने एडवोकेट निखिल भण्डारी के मार्फत एक सिविल रिट याचिका राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में पेश कर यह बताया कि वह जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में पिछले 25 वर्षों के लम्बे समय से अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्य कर रहा हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने याचिकाकर्ता के एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए रिट याचिका को स्वीकार करते हुए प्रार्थी मुकेश गहलोत को अस्थायी कर्मचारी के पद पर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा नौकरी से हटाने पर रोक लगाकर नियमित करने का आदेश दिनांक 16-11-2023 को दे दिया था, 

लेकिन इसके बावजूद भी जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने अपने कार्यालय आदेश दिनांक 30-11-2023 के द्वारा याचिकाकर्ता मुकेश गहलोत को यह सूचित किया कि उसकी सेवा दिसम्बर 2023 में 1 महीने के लिए ब्रेक कर दी गई हैं. जिस पर याचिकाकर्ता ने अपने एडवोकेट निखिल भण्डारी के माध्यम से नयी रिट याचिका पेश की.

एडवोकेट निखिल भण्डारी ने अपनी बहस में यह बताया कि जब दिनांक 16-11-2023 के आदेश के द्वारा मुकेश गहलोत को राजस्थान हाईकोर्ट ने जब उसे नियमित कर्मचारी बना दिया था तो अब उसे सेवा से 1 महीने का ब्रेक दिया जाना अनुचित व अवैध हैं.



राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा मुकेश गहलोत को जब स्थायी कर्मचारी के रूप में नियमित कर दिया गया था तब जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर उसकी सेवा में जबरन 1 महीने का ब्रेक देकर उसे नौकरी से निकालना चाहता हैं जो पूर्णतया राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेश दिनांक 16-11-2023 की भावना के बिल्कुल विपरीत हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरूण मोंगा ने एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के मुकेश गहलोत के दिसम्बर, 2023 के 1 महीने के लिए नौकरी पर ब्रेक लगाने के आदेश के विरुद्ध प्रार्थी मुकेश गहलोत के स्थगन प्रार्थना-पत्र को मंजूर करते हुए रोक लगा दी.

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