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उपराष्ट्रपति ने विधायकों को दी ट्रेनिंग, बोले- परिवार की तरह चले सदन तभी देश-प्रदेश का होगा हित

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान विधानसभा में 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे. विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री ने पौधा भेंट कर उपराष्ट्रपति का स्वागत किया.

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उपराष्ट्रपति ने विधायकों को दी ट्रेनिंग, बोले- परिवार की तरह चले सदन तभी देश-प्रदेश का होगा हित
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

लोकतंत्र भारत की सबसे बड़ी ताकत है, पूरी दुनिया के लिए भारत प्रजातांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से आदर्श राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि सदन में प्रत्येक सदस्य का आचरण अनुकरणीय और मर्यादित होना चाहिए. यदि सदन परिवार की तरह चलेगा तो देश-प्रदेश का हित होगा. ये बातें राजस्थान निर्वाचित विधायकों को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही.

धनखड़ मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने की जबकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की इस अवसर पर उपस्थिति रही.

विकास रूपी गंगा की विधायिका से होती है शुरुआत

इस अवसर पर धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में विकास रूपी गंगा की शुरूआत विधायिका से होती है. विधायिका का यह दायित्व है कि वह न्यायपालिका और कार्यपालिका को सही दृष्टिकोण में रखकर कार्य करे. उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष का कर्तव्य सरकार के कार्यों की सकारात्मक आलोचना करना होता है, जिसका लाभ सरकार को मिलता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल से जुड़े नहीं होते हैं. उनका पहला कर्तव्य है कि वह प्रतिपक्ष का संरक्षण करे.

धनखड़ ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज विधायिका का आचरण लोगों को चिन्तित और हतप्रभ करने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रभावी बात वही होती है जो सदन में नियमों के माध्यम से रखी जाए। व्यवधान के लिए कही जाने वाली बातों का असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां और जटिल विषय थे, लेकिन संविधान सभा द्वारा किया गया कार्य सभी के लिए अनुकरणीय है.

सदस्यों को नियमों की जानकारी होना आवश्यक

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि स्वतंत्रता और प्रजामंडल आन्दोलनों में लोकतांत्रिक मूल्यों का बड़ा महत्व रहा है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन की प्रक्रिया, कार्य संचालन एवं आचरण सम्बन्धी नियमों से अवगत करवाने के लिए यह प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया है. सभी सदस्यों को नियमों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है.

देवनानी ने कहा कि विधायक जितना अधिक समय सदन में बिताएंगे उतना ही अधिक उन्हें सीखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि हमें जनहित के मुद्दे नियमों के तहत सदन में उठाने होंगे तथा सदन में सार्थक एवं प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में सदस्यों का व्यवहार शालीन होना चाहिए. यहां मुद्दों को लेकर पक्ष-विपक्ष में मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए.

कर्तव्यों का बेहतर निर्वहन करेंगे विधायक

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम से संसदीय पद्धति, प्रक्रिया, कार्य संचालन के नियम, अभिसमय, शिष्टाचार और परंपराओं से जुड़े विभिन्न आयामों को समझने का सुअवसर मिला है. इससे लोकतांत्रिक ढांचे में विधानमंडलों की संवैधानिक भूमिका और स्थिति की बेहतर समझ हो पाएगी. उन्होंने कहा कि इस प्रबोधन कार्यक्रम के विचारों को अपनाकर हम विधायक के रूप में अपने कर्तव्यों का बेहतर निर्वहन कर सकेंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन पक्ष-प्रतिपक्ष का नहीं है, यह सदन सबका है, यह ऐसा मंच है, जहां जनता की अपेक्षाओं को प्रभावी ढंग से रखकर अपनी भूमिका निभा सकते है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र और सर्व हित में हमारे विषयों को सदन में सुना जाए. इसके लिए हमे संसदीय साधनों का विधिपूर्वक उपयोग करना होगा.

असहमति और मतभेद लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं

शर्मा ने कहा कि असहमति और मतभेद लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं और उन्हें अभिव्यक्त करने के लिए समुचित साधन उपलब्ध हैं. हमारी विधानसभा में सभी प्रकार के विचारों और आकांक्षाओं को समान महत्व देने की परंपरा रही है. सरकारी मुख्य सचेतक श्री जोगेश्वर गर्ग ने कार्यक्रम में सभी का आभार व्यक्त किया.

प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर प्रबोधन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री ने पौधा भेंट कर उपराष्ट्रपति का स्वागत किया. विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने उपराष्ट्रपति को स्मृति चिह्न भी भेंट किया. कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी एवं डॉ. प्रेमचन्द बैरवा, मंत्रीगण, विधायकगण तथा संसदीय नियम एवं प्रक्रियाओं के विशेषज्ञ उपस्थित रहे.

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