Dausa Borewell News: राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में 5 साल का आर्यन 43 घंटे से बोरवेल में फंसा हुआ है. उसे बचाने के लिए NDRF और SDRF की टीमें 6 बार कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. 10 जेसीबी और अन्य मशीनों से खुदाई का काम भी खास असर नहीं दिखा पाया है.
रेस्क्यू टीमों ने एक लोहे का 'चक्र' भी बनाया, उसके बाद एक लोहे की रिंग बच्चे को नीचे जाने से रोकने के लिए लगाई गई थी. कई प्रयासों के बाद भी अब तक सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में अब NDRF ने पाइलिंग मशीनों के जरिये एक बड़ा होल करने का फैसला किया है. यह होल सुबह पांच बजे से किया जा रहा है. अधिकारिओं के मुताबिक 155 फीट का होल बोरवेल से 6 फ़ीट की दूरी पर किया जाएगा . उसके बाद 'रैट-होल माइनिंग' के जरिये नीचे बोरवेल के पास जहां बच्चा फंसा है वहां एक पाइप की मदद से पहुंचा जाएगा.
अब तक करीब 110 फ़ीट का होल किया जा चुका है. आइये समझते हैं क्या है 'रैट-होल माइनिंग' जिस तकनीक का सहारा लेकर आर्यन को बचाने की जद्दोजहद जारी है.
क्या होती है 'रैट-होल माइनिंग' तकनीक ?
'रैट-होल माइनिंग' एक तरह के खनन करने का तरीका है इसके जरिये खदानों में बहुत संकरी और गहरी सुरंगें बनाई जाती हैं, जो चूहों के बिल जैसी दिखती हैं, इसलिए इसे 'रैट-होल माइनिंग' कहते हैं। इन सुरंगों में केवल एक शख्स ही अंदर जा सकता है यह तरीका आमतौर पर कोयला निकालने के लिए अपनाया जाता है.
'रैट-होल माइनिंग' में श्रमिकों को बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करना पड़ता है, जिससे उनकी जान को खतरा होता है. सुरंगों की दीवारें कमजोर होती हैं और इनमें भूस्खलन का डर रहता है. हालांकि इसका प्रयोग कई बार अवैध कोयला निकालने के लिए भी किया जाता है. इसमें खदान के भीतर फंसने का खतरा रहा है. इसलिए सरकार ने इसे बैन कर रखा है.
दौसा कलेक्टर ने क्या कहा ?
दौसा के जिला कलेक्टर देवेंद्र यादव ने बताया कि आर्यन को बोरवेल से बाहर निकालने के ऑपरेशन में कुछ चुनौतियाँ सामने आईं. बोरवेल में पानी का स्तर नहीं बढ़ने के कारण आसपास के अन्य बोरवेल को चालू किया गया है. फिलहाल, आर्यन बोरवेल में पानी से तीन से चार फीट ऊपर फंसा हुआ है.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के तहत पाइलिंग मशीन से खुदाई जारी है. खुदाई के बाद पाइप डाले जाएंगे, और इसके बाद एनडीआरएफ की टीम केप्सूल के माध्यम से अंदर जाएगी. साथ ही, एक समानांतर सुरंग बनाई जाएगी, ताकि आर्यन को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके.
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