9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2023 ) है. यह दिन विश्व में रहने वाली आदिवासी आबादी के मूलभूत अधिकारों यानी जल, जंगल, जमीन को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक व न्यायिक सुरक्षा के लिए मनाने के लिए घोषित किया गया है. लेकिन राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश में जनजाति समुदाय का एक धड़ा लंबे समय से हर साल विश्व आदिवासी दिवस से पहले भील प्रदेश की मांग को और तेज करने में जुट जाते हैं. वहीं राजनीतिक दलों की ओर से न तो इस मांग के विरोध में और न ही समर्थन में कभी विचार व्यक्त किए हैं.
लंब समय से हो रही है भील प्रदेश की मांग
कुछ सामाजिक संगठनों का मानना है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 4 राज्यों के 42 जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश की मांग अभी की नहीं है. यह मांग आजादी से पहले से ही चली आ रही है, जब राजपूत राजाओं ने आदिवासी राज्यों को छीन लिया था.इस मांग को भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) सहित कई सामाजिक-राजनीतिक संगठनो ने अब जोर शोर से उठाना शुरु कर दिया है, जिससे यह संगठन न केवल मजबूत हुए हैं वरन जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि विधान सभा में पहुंच कर इसको पूरा करने की मांग करने लगे हैं.
इन 4 प्रदेशों के 42 जिलों के अनुसूचित क्षेत्रों की आबादी डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा
इन चारों प्रदेशों के 42 जिलों के अनुसूचित क्षेत्रों को मिलाकर अलग भील प्रदेश की मांग करने वाले संगठनों का दावा है कि इस क्षेत्र की आबादी डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा है. इसमें राजस्थान में 32 लाख, गुजरात में 38 लाख, महाराष्ट्र में 22 लाख और मध्यप्रदेश में करीब 50 लाख की जनसंख्या शामिल हैं. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 244 और सन् 1913 के मानगढ़ में गुरु गोविंद गिरी के आंदोलन का हवाला दिया जाता है.
आरएसएस लगातार इस मांग के विरोध में खड़ा
दाहोद (गुजरात) से लोकसभा सांसद रहे सोमजी भाई डामोर ने भील प्रदेश का अलग नक्शा दिया तो इसी मांग को लेकर 2013 में जांबूखंड पार्टी और फिर 2017 में बीटीपी का गठन हुआ. इसके राष्ट्रीय संरक्षक गुजरात विधानसभा सदस्य छोटू भाई वसावा है. फिलहाल पार्टी से गुजरात-राजस्थान में दो-दो विधायक हैं. हालांकि इस मांग का आरएसएस लगातार विरोध करता रहा है. इस क्षेत्र में कार्यरत संघ परिवार से जुड़े वनवासी कल्याण परिषद का मानना है कि यह समाज को बांटने के लिए वामपंथी और मिशनरी ताकतों की साजिश है. वहीं, अकादमिक क्षेत्रों से जुड़े कई बुद्धिजीवी इस मांग को स्वायत्तता के नजरिए से सही मानते हैं.
4 राज्यों के इन जिलों को मिलाकर है भील प्रदेश बनाने की मांग
- गुजरात- बनासकांठा-सावरकांठा-अरावली-महिदसागर-वडोदरा-भरूच-सूरत और पंचमहल का हिस्सा, दाहोद, छोटा उदयपुर, नर्मदा, तापी, नवसारी, वलसाड़, दमन दीव, दादर नागर हवेली
- राजस्थान- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद और चित्तौड़गढ़, जालोर-बाड़मेर-पाली का हिस्सा
- महाराष्ट्र- जलगांव-नासिक और ठाणे का हिस्सा, नंदूरबाग, धुलिया और पालघर
- मध्यप्रदेश- नीमच-मंदसौर-रतलाम और खड़वा का हिस्सा, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खरगोन और बुरहानपुर