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डायबिटीज मैनेजमेंट में AI का इस्तेमाल, AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर से बड़े राहत की उम्मीद

शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक दीक्षित अल्लादी ने AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर प्रणाली पर डिटेल स्टडी की है.

डायबिटीज मैनेजमेंट में AI का इस्तेमाल, AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर से बड़े राहत की उम्मीद
डायबिटीज मैनेजमेंट में AI का इस्तेमाल.

डायबिटीज वो बीमारी, जिसका मरीज आज लगभग हर घर में मौजूद हैं. सामान्यतः 30-35 की उम्र पार करते ही लोग इस बीमारी की चपेट में आ जा रहे हैं. जिसके बाद इलाज, दवाई, परहेज की लंबी प्रक्रिया शुरू होती है. मधुमेह अपने साथ हार्ट, बीपी सहित और भी कई बीमारियों को लेकर आता है. जरा सी लापरवाही पर लोगों की हालत खराब होने लगती है. इस कारण लोग मीठी चीजों से परहेज करने लगते हैं. साथ ही डायबिटीज के मरीजों को लगातार अपना शुगर और ग्लूकोज चेक करते रहना होता है. 

तकनीक के विकास के साथ ही शुगर जांच के कई तरीके आज मार्केंट में उपलब्ध है. लेकिन AI के विकास ने शुगर और ग्लूकोज जांच के तरीके को और आसान और प्रभावी बना दिया है. दरअसल भारत के शोध वैज्ञानिक और सॉफ्टवेयर इंजीनियर दीक्षित अल्लादी के नेतृत्व में हुए एक महत्वपूर्ण अध्ययन ने AI-सक्षम इंसुलिन डिलीवरी प्रणाली मधुमेह देखभाल में क्रांति ला रही है.

AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर प्रणाली पर शिकागो विवि में स्टडी

शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक दीक्षित अल्लादी ने AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर प्रणाली पर डिटेल स्टडी की है. यह तकनीक उन्नत सेंसर, मशीन लर्निंग और वास्तविक समय डेटा प्रोसेसिंग को जोड़कर मधुमेह प्रबंधन का एक सटीक समाधान प्रदान करती है.

शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध वैज्ञानिक दीक्षित अल्लादी.

शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध वैज्ञानिक दीक्षित अल्लादी.

आंध्र प्रदेश में जन्मे और पले-बढ़े अल्लादी ने बताया कि AI-सक्षम इंसुलिन नेविगेटर प्रणाली में निरंतर ग्लूकोज निगरानी (CGM) को एल्गोरिदम के साथ एकीकृत करता है, ताकि इंसुलिन की खुराक और उसके बारे में सभी जरूरी बातें शुगर पेसेंट को बताया जा सकता है. यह प्रणाली सेंसर के माध्यम से वास्तविक समय का ग्लूकोज डेटा एकत्र करती है, जिसे फिर लर्निंग मॉडलों द्वारा प्रोसेस कर सटीक भविष्यवाणी करता है. जिससे मरीजों के लिए बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है.

लगातार जांच और विश्लेषण से कम होगा खतरा

इस AI-सक्षम प्रणाली से हाइपोग्लाइसीमिया या हाइपरग्लाइसीमिया जैसे संभावित जोखिमों का जल्दी पता चलता है.  दीक्षित अल्लादी ने बताया कि निरंतर निगरानी और विश्लेषण के माध्यम से हमने हाइपोग्लाइसीमिक एपिसोड को काफी हद तक कम किया है और मरीजों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है. 

AI-सक्षम प्रणाली न केवल ग्लाइसेमिक नियंत्रण को बढ़ाती है बल्कि ग्लूकोज में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी भी करता है. टाइम-इन-रेंज में सुधार कर मरीज का ब्लड शुगर स्तर लक्षित सीमा के भीतर रहता है. दीक्षित अल्लादी ने बताया कि इस तकनीक में मधुमेह प्रबंधन में क्रांति लाने और वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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