Right to sleep: अच्छी नींद लेना हर किसी का अधिकार माना जाता है. क्योंकि बेहतर नींद ( Sound Sleep) लेने से सेहत अच्छी रहती है.लेकिन कई बार ऑफिस में बढ़ते काम या किसी की वजह से आपकी नींद में खलल पड़ने लगता है, जिससे आपको मानसिक नुकसान हो सकता है. ऐसे में पर्याप्त नींद लेना एक सपने जैसा हो जाता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में हर नागरिक को गहरी और अच्छी नींद का अधिकार (Right to sleep) है.
अच्छी नींद भारत के हर नागरिक का मौलिक अधिकार
क्या कहता है आर्टिकल 21
आर्टिकल 21 के तहत 'राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लाइबर्टी' के तहत यह अधिकार आता है . इसके अंतर्गत नींद के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने मौलिक अधिकार के रूप में इस अधिकार को मान्यता दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली में बाबा रामदेव की रैली में सो रहे समर्थकों के हक में फैसला सुनाया था.इसमें पुलिस की कार्रवाई से उन लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ था.
हर व्यक्ति शांति से सोने का है अधिकार - सुप्रीम कोर्ट
इस अनुच्छेद 21 के अनुसार, "किसी भी व्यक्ति को उसकी निजी स्वतंत्रता से छीना नहीं जा सकता है.उस समय फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर नागरिक को रात में चैन की नींद सोने का अधिकार है. क्योंकि दिनभर मेहनत करने के बाद एक मीठी नींद आती है. अगर वह अच्छी नींद लेता है, तो उसके पूरे दिन का तनाव उस एक गहरी नींद में दूर हो जाता है और वह अगले दिन के लिए नई ऊर्जा के साथ तैयार हो जाता है. लेकिन अगर दिनभर थके रहने के बाद सोते समय उसकी नींद में खलल पड़ता है, तो व्यक्ति में ध्यान की कमी होती है. इसका सबसे ज्यादा असर उसके कार्य प्रदर्शन पर पड़ता है. कोर्ट के मुताबिक, किसी को भी दूसरों की नींद में खलल डालने का अधिकार नहीं है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)