NDTV INDIA संवाद: 'NDTV INDIA संवाद-संविधान @75' कार्यकम में सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग पर पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "सोशल मीडिया पर चलने वाली बातों का हम लोगों के ऊपर असर पड़ता है. लेकिन, मैं जब जज था तो मैं फॉलो नहीं करता था. समाज में कई तरह की भ्रांतियां हैं कि सोशल मीडिया की बातों का जज पर असर नहीं पड़ता है. "कॉलेजियम के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "देखिए, कॉलेजियम सिस्टम पर कई तरह की भ्रांतियां हैं. लेकिन, यह संघीय व्यवस्था में एक बहुत अच्छी व्यवस्था है. इसमें नियुक्ति की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है. सभी वर्गों को इसके अतंर्गत प्रतिनिधित्व मिलते रहे हैं."
"जज के लिए के लिए कोई मामला बड़ा और छोटा नहीं होता"
डीवाई चंद्रचूड़ ने धारा 370 (Article 370) और इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनाए फैसले को याद करते हुए कहा, "जज के लिए न तो कोई मामला बड़ा होता है और न कोई मसला छोटा होता है. कोर्ट की सिर्फ एक कोशिश होती है कि केस का आकलन तथ्यों और कानून के आधार पर किया जाए. अयोध्या राम मंदिर केस की ही बात करें तो ये पहली बार सुप्रीम कोर्ट आया था."
"पक्षकार के दावे और मामले में सबूत देखने चाहिए"
डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, "मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया था. अब पहली अपील में कैसे निर्णय करना चाहिए? इस तरह के मामलों में पहले से सिद्धांत तय हैं. ये सिद्धांत अभी के नहीं बल्कि आजादी के भी पहले के हैं. ऐसे मामलों में विवाद के पक्षकार के दावे और मामले में सबूत देखने चाहिए. ऐसा नहीं है कि ये सिद्धांत किसी एक- दो मामले के लिए हैं. ये सभी केस पर लागू होते हैं. चाहे वो पेंशन का मामला हो या नौकरी का. यही सिद्धांत लागू होते हैं. धारा 370, इलेक्टोरल बॉन्ड या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय केस को ही देख लें, हर केस में यही सिद्धांत लागू किए गए हैं. न्यायिक प्रक्रिया में एक सबसे बड़ा सिद्धांत है कि आप रातों-रात बदलाव नहीं लाते."
रिटायरमेंट के बाद डीवाई चंद्रचूड़ की जिंदगी
डीवाई चंद्रचूड़ को CJI के पद से रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट गए पूरे 15 दिन हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट की यादों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "साढ़े आठ साल की आदत थी, इससे पहले मैं 24 साल तक जज रहा हूं. इसके अलावा मेरे जीवन में और कोई काम नहीं था. सुबह उठकर केस फाइलें पढ़ना, कोर्ट जाना, शाम को आकर जजमेंट डिक्टेट करना और फिर रात को अगले दिन की फाइलें पढ़ना. इसलिए में कहना चाहूंगा कि ये बिल्कुल भी आसान नहीं है.
"पिछले 24 साल परिवार कके साथ कोई लंच नहीं कर सका"
मैं कई बार सोचता हूं कि जीवन में कितनी चीजें मैंने आत्मसात कर ली हैं और कितनी चीजें खोई भी हैं. पिछले 24 साल के दौरान मैं अपने परिवार के साथ कोई लंच नहीं ले सका. कई बार डिनर के समय भी मैं ऑफिस में रहता था. ऐसी कई चीजें हैं, जो मैं करना चाहता हूं और इन दिनों कर भी रहा हूं. प्राइवेट सिटीजन की जिंदगी जीना बेहद अच्छा लग रहा है."
कार्यक्रम की शुरुआत सीनियर मैनेजिंग एडिटर संतोष कुमार ने की
एनडीटीवी के कार्यक्रम ‘NDTV INDIA संवाद- संविधान @75' की शुरुआत करते हुए सीनियर मैनेजिंग एडिटर संतोष कुमार ने बताया, "आज हम ऐसे सिलसिले की शुरुआत करने जा रहे हैं, जो मंच बनेगा बड़े मुद्दों का, बड़े विचारों का. इस सीरीज में हम देश और जनता के मुद्दों पर गंभीर रूप से बातचीत करेंगे. बातें गंभीर होंगी, लेकिन बोरिंग नहीं होंगी, इसका वादा मैं आपसे करता हूं. इसकी पहली कड़ी का विषय है- 'संविधान @75'. देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और हम इस विशेष आयोजन के माध्यम से इसमें एक नया आयाम जोड़ना चाहते हैं."