विज्ञापन
This Article is From Apr 04, 2024

Dasha Mata Vrat 2024: दशा माता पर्व पर दिखती है गंगा-जमुना तहजीब की झलक, शेख परिवार तीन पीढ़ियों से दे रहा बेल

पूजा की बेल बेचने वाले इरफान शेख ने कहते हैं, लगभग मेरी तीन पीढ़ियां यह व्यापार लगभग 40 साल से मुख्य बाजार में कर रहे हैं. इसकी शुरुआत मेरे दादाजी ने की और उसके बाद मेरे पिताजी अब हम इस व्यापार को संभाल रहे हैं.

Dasha Mata Vrat 2024: दशा माता पर्व पर दिखती है गंगा-जमुना तहजीब की झलक, शेख परिवार तीन पीढ़ियों से दे रहा बेल
दशा माता की बेल.

Rajasthan News: कपड़ा नगरी भीलवाड़ा में छोटे-मोटे विवाद में सांप्रदायिक तनाव का असर देखने को मिलता रहा है. मगर यहां के त्योहारों में गंगा-जमुना तहजीब की एक सुंदर तस्वीर भी हमेशा दिखती रही है. इसकी झलक होली के बाद आने वाले दशा माता पर्व में देखने को मिलती है. मेवाड़ अंचल के प्रमुख त्योहारों में शामिल दशा माता पूजन में मुख्य घटक सूत की बेल भीलवाड़ा में मुस्लिम शेख परिवार देता है. होली के बाद आने वाले दशा माता पर्व पर हिंदू माताएं और बहने व्रत रखती है.

भीलवाड़ा के शेख परिवार की पिछली तीन पीढ़ियां पूजा के समय हाथ पर बांधने व भगवान को अर्पण करने वाले लच्छे व दशा माता के त्योहार पर महिलाओं द्वारा पूजा कर पहनने वाली दशा माता की बेल बेच रहे हैं. इरफान जब मंदिरों में मुख्य पुजारी पूजा के समय जो लच्छा लेकर जाते हैं उन पर बहुत ही कम मुनाफा लेते हैं. शीतला सप्तमी के बाद दशा माता का पर्व मनाया जाता है, जहां सुहागिन व सभी महिलाएं व्रत रखकर पीपल की पूजा अर्चना करती है. इस दौरान दशा माता की कहानी सुनकर अपने गले में दशा माता की बेल यानी बांधती है. जहां मोहम्मद इरफान शेख की दुकान पर काफी खरीदारी हो रही है.

Latest and Breaking News on NDTV

तीन पीढ़ियां बेच बेल 

पूजा की बेल बेचने वाले इरफान शेख ने कहते हैं, लगभग मेरी तीन पीढ़ियां यह व्यापार लगभग 40 साल से मुख्य बाजार में कर रहे हैं. इसकी शुरुआत मेरे दादाजी ने की और उसके बाद मेरे पिताजी अब हम इस व्यापार को संभाल रहे हैं. हमारी दुकान से ही भीलवाड़ा के सबसे बड़े धार्मिक स्थल हरणी महादेव व तिलस्वा महादेव मंदिर में पूजा के दौरान हाथ की कलाई पर बांधे जाने वाला लच्छा उपलब्ध करवाया जाता है. अभी दशा माता पर हिंदू महिलाएं दशा माता की बेल पहनने की भी यहीं से खरीदते हैं.'

मंदिर में देते हैं सस्ता लच्छा बेल 

वो कहते हैं, आमजन और मंदिर में जो पूजा के लिए लच्छा बेचा जाता है. उनकी बेचने की रेट में भी फर्क रहता है. मंदिर के पुजारियों के लिए सस्ता बेचता हूं, क्योंकि वह धार्मिक रूप में लोगों की कलाई पर निःशुल्क रूप से बांधते हैं . मैं लोगों को यही संदेश देना चाहता हूं कि देश में कभी-कभी छोटी-छोटी बात पर माहौल खराब हो जाता है, जबकी हमारा भारत देश धार्मिक एकता का देश रहा है यहा हर धर्म और मजहब के लोग बड़ी एकता के साथ रहते हैं. हम भी प्रेम और सद्भाव से रहे' Latest and Breaking News on NDTV

दशा माता पूजन का महत्व

दशा माता पूजन होली दहन के अगले दिन से शुरू होता है. दश दिन तक दशा माता की पूजा अर्चना की जाती है. बड़ी बुजुर्ग महिलाएं घर की दशा सुधारने की कहानियां सुनाती है. चित्र मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता पर्व मनाया जाता है. दशा माता की पूजन के बाद सूत की बेल को महिलाएं धारण करती है.

यह भी पढ़ें- 'आपकी मां ने दूध पिलाया हो तो मेरे गिरेबान की तरफ झांक के देखना', डोटासरा का दिलावर को चैलेंज

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close