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रेगिस्तान में बढ़ रही तितलियों की संख्या, पश्चिमी राजस्थान में पहली बार दिखीं ये बटरफ्लाई

जैसलमेर की जैव विविधता दिनों- दिन समृद्ध हो रही है, यहां पहली बार कॉमन पायरेट, रेड फ्लैश और इंडियन फर्टिलरी बटरफ्लाई दिखी. अब तक तितलियों की 42 प्रजातियां रजिस्टर्ड हैं. 

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रेगिस्तान में बढ़ रही तितलियों की संख्या, पश्चिमी राजस्थान में पहली बार दिखीं ये बटरफ्लाई
कॉमन पायरेट तितली की तस्वीर

Rajasthan News: सुदूर रेगिस्तान में तितलियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. रेगिस्तान में उड़ती तितलियों को डेजर्ट फ्लाइंग कलर्स के रूप में भी एक नई पहचान मिली है. जैसलमेर में पहले से तितलियों की 42 प्रजातियां रजिस्टर्ड है. लेकिन अब यहां 3 नई प्रजातियों की तितलियां देखने को मिली है. इन्हें सिर्फ जैसलमेर ही नहीं बल्कि पश्चिमी राजस्थान में पहली बार देखा गया है. यह जैसलमेर की समृद्ध जैव विविधता की और भी इशारा करती है.

पहली बार दिखीं ये 3 तितलियां

तितलियों की इन अलग-अलग प्रजातियों को 3 तितलियों (इंडियन फर्टिलरी, रेड फ्लैश तितली व कॉमन पाइरेट) को जैसलमेर शहर के अलग-अलग स्थानों पर देखा गया. इंडियन फर्टिलरी व रेड फ्लैश तितली को जैसलमेर शहर के एक निजी स्कूल के बगीचे में देखा गया. वहीं कॉमन पाइरेट तितली को एसबीके राजकीय महाविद्यालय के बगीचे में देखा गया है.

अनुकुल वातावरण को पहचानती तितलियां

एसबीके कॉलेज के प्राचार्य व पर्यावरण विद श्याम सुंदर मीणा बताते है कि सभी प्रकार के कीट-पतंगे जिससे ये अपना खाना प्राप्त करते है और लार्वा होस्ट प्लांट जिस पर ये अंडे देते हैं, उसके प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और इन पादपों को पहचानने की क्षमता इनमें जन्मजात होती है. इसलिए जहां भी इनसे संबंधित पोषण एवं लार्वा होस्ट प्लांट होते है, वहां तक ये जीव कई हजार किमी तक का सफर भी तय कर लेते हैं.

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समृद्ध होती जा रही है यहां की जैव विविधता 

जैसलमेर का पर्यावरण स्वच्छ है, यहां आवास स्थान की कोई कमी नहीं है. पिछले कई सालों से हो रही अच्छी बरसात की वजह से जलस्रोतों में पूरे साल भर तक पानी रहता है.जिसकी वजह से नए-नए पादप पनप रहे है. ये नए पादप एवं इनके फूल एवं फल नए जीवों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. जिसका परिणाम यह है कि यहां की जैव विविधता समृद्ध होती जा रही है.

तितलियां की नई प्रजातियां मिलने से इको सिस्टम होगा डेवलप

तितलियों की नई प्रजातियों का थार मरुस्थल में पाये जाने से यहां के इको सिस्टम एवं खाद्य श्रृंखला में नया आयाम स्थापित होगा, जो कि रिसर्च स्कॉलर के लिए खोज का नया विषय बनेगा. इको सिस्टम एवं खाद्य श्रृंखला में परिवर्तन होने से क्षेत्र विशेष की जैव विविधता में विभिन्नताएं देखने को मिलती है. यह विभिन्नताएं कालांतर में जैविक उद्विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिसकी वजह से नई-नई प्रजातियों का विकास होता है.

जीव विज्ञानियों के लिए खोज का विषय

इंसानों के विपरीत कीट पतंगे भी वातावरण को लेकर बहुत सजग होते है. जिस पशु, पक्षी या कीटों को जहां का वातावरण अनुकूल लगता है. वे वहीं रहने लग जाते है. तितलियों में भी यह बात होती है. इंडियन फर्टिलरी बटरफ्लाई मुख्यत हिमालयन क्षेत्र में पाई जाती हैं, जबकि कॉमन पाइरेट का विस्तार मुख्यत दक्षिण भारत वाले इलाकों में देखने को मिलता है. रेड फ्लैश बटरफ्लाई दक्षिण राजस्थान के हिस्सों में दिखाई देती है. तीनों तितलियों का जैसलमेर में दिखना खोज का विषय है. जीव विज्ञानियों के लिए खोज के लिए नए विषय के रूप में है कि किन-किन पादपों पर यह तितलियां अपना पोषण प्राप्त कर रही है, साथ ही किन-किन पादपों को लार्वा होस्ट प्लांट के रूप में उपयोग कर रही है.

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